बुंदेलखंड राज्य का प्रस्ताव नहीं, आरटीआई में मिला जवाब
गृहमंत्रालय के सीपीआईओ निदेशक रेनू सरिन ने समाजसेवी कुलदीप शुक्ला को भेजा पत्र
केंद्र सरकार की पूर्व जलसंसाधन मंत्री व मध्यप्रदेश की सीएम रही उमा भारती ने ओरछा के रामराजा मन्दिर में बोला था सफेद झूठ,सरकार में आये तो तीन साल के अंदर साकार होगा सपना।
– बुंदेलखंड राज्य के लिए गाहे बगाहे संघर्षरत संघटन व लोगों में निराशा,छल कर रही सरकार।
– बुंदेलखंड विकास बोर्ड के उपाध्यक्ष राजा बुंदेला का अलग राग अलापते हुए युवा फेसबुक पर लिख रहे ‘ यूपी दिल्ली मंथन उत्तर प्रदेश तीन राज्यों में विभाजित होने की संभावना। पश्चिम और बुंदेलखंड होंगें नए राज्य,शेष उत्तर प्रदेश बना रहेगा। मानसून सत्र में आ सकता है राज्य पुनर्गठन संशोधन विधेयक।
– यूपी बुंदेलखंड के 19 सत्तारूढ़ विधायक और 4 लोकसभा सांसद,अन्य पार्टियों के राज्यसभा सांसद,एमएलसी सहित मध्यप्रदेश बुंदेलखंड के माननीय अलग राज्य मसले पर मौन।
– बुंदेलखंड के 13 जनपदों में अथाह खनिज संपदा और जंगल के दोहन को लाये जा रहे उत्खनन प्रोजेक्ट लेकिन बुंदेलखंड के भविष्य पर सारी राजनीतिक पार्टियां में साझी गोलबंदी।
– 5 हजार करोड़ रुपये सालाना राजस्व देने वाला 13 जनपदों का बुंदेलखंड अपने ही जनप्रतिनिधियों के छलावे से दलगत राजनीति और जातिवाद के घुन में बुंदेलखंड राज्य की हकदारी से महरूम हैं।
– स्थानीय माननीय बन जाते हैं अरबपति लेकिन बुंदेली समाज को मिलती हैं बेरोजगारी, पलायन,नदियों के खनन से जलसंकट और सूखा तो वहीं किसानों को कर्ज का मकड़जाल देता खुदकुशी।
– बसपा नेत्री पूर्व सीएम मायावती के उत्तरप्रदेश को चार छोटे हिस्सों में बांटने के मसौदे पर किसी ने नहीं किया विचार।
– बुंदेलखंड की कुल आबादी व भौगोलिक परिक्षेत्र से छोटे कुछ राज्य भी हैं मसलन सिक्किम, उत्तराखंड,तेलंगाना तो मुक्त बुंदेलखंड राज्य क्यों नहीं चाहती सरकार ?
बाँदा। बुंदेलखंड अलग राज्य को लेकर जुगाली कर रही राजनीति में एक बार फिर स्याह सच सामने आया है। केंद्र सरकार के गृहमंत्रालय की सीपीआईओ निदेशक रेनू सरिन ने बाँदा के सूचनाधिकार कार्यकर्ता कुलदीप शुक्ला को हाल ही में उत्तर दिया है कि बुंदेलखंड राज्य को लेकर फिलहाल उनके पास कोई प्रस्ताव नहीं हैं।
गौरतलब हैं गत वर्ष भी कुलदीप को यही उत्तर आरटीआई से मिला था। इस जानकारी से बुंदेलखंड राज्य को लेकर आंदोलन की गतिविधियों में शामिल युवाओं के अंदर निराशा उत्पन्न हुई है।
बुंदेलखंड राष्ट्र समिति से जुड़े डालचंद्र मिश्रा, बुंदेलखंड किसान यूनियन अध्यक्ष विमल शर्मा,बुंदेलखंड मुक्ति मोर्चा के कुछ सदस्यों में उबासी झलक रही है। उधर महोबा से बुंदेली समाज के संयोजक तारा पाटकर जिन्होंने कई बार प्रधानमंत्री के प्रशंसक होते हुए अलग राज्य के लिए खून से पत्र लिखे और रक्षाबंधन में राखी भेजी हैं उनके लिए यह सदमे जैसा हो सकता हैं।
उल्लेखनीय हैं बुंदेलखंड राज्य का मसला जितना सोशल मीडिया में सक्रिय हैं उतना ज़मीन पर मौजूद नहीं है। उधर राजा बुंदेला अपनी सियासी गोट में आवाम के सपनों का सौदा करते नजर आते हैं जब सत्ता में बैठी यूपी और दिल्ली की सरकार से बुंदेलखंड राज्य के यक्ष प्रश्न का उत्तर लेना होता हैं। बैरहाल कुलदीप शुक्ला को मिला उत्तर निश्चित ही बुंदेलखंड के साथ धोखे जैसा कुठाराघात हैं।