श्रीरामकथा सप्तम दिवस: बाल सखा सुन हियँ हरषाहीं , मिलि दस पाँच राम पहिं जाहीं

हमीरपुर। जनपद के लोदीपुर-निवादा में दिव्य प्रेम सेवा मिशन के तत्वावधान में चल रही रामकथा के सातवें दिन कथा व्यास विजय कौशल महाराज ने राम-केवट प्रसंग से आगे की कथा बढाते हुए सम्पूर्ण राम वनवास,सीताहरण, रावण वध और अयोध्या लौटकर राम के राज्याभिषेक, सीता वनवास और लवकुश की कथा सुनाई। बताया कि राम के वनवास से लौटने के बाद सभी अयोध्या वासी और बाल्यकाल के सखा कैसे भगवान राम से कुशलक्षेम पूँछते हैं और भगवान राम जब सीता जी को अपने बाल्यकाल के मित्रों से परिचय कराते हैं तो वह अत्यंत हर्षित होती हैं। रामकथा के प्रसंग के साथ-साथ बताया कि हमारे नेत्रों में जो विष व्याप्त है। उसे गुरुकृपा और सत्संग से ही दूर किया जा सकता है। जाकी रही भावना जैसी, प्रभु मूरत देखी तिन तैसी। का जिक्र करते हुए बताया कि दोष हमारी दृष्टि में होता है। हमारे अंदर जैसे भाव होंगे, हमें सभी वैसे ही नजर आएंगे। इसलिए हमें अंतःकरण का परिमार्जन करना आवश्यक होता है। वहीं कथा व्यास ने लोगों से नशा और दुर्व्यसन छोड़ने का संकल्प भी लिया।

रामकथा के दौरान रामजी प्रांत प्रचारक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, डॉ आशीष गौतम,महेश चंद्र चतुर्वेदी अपर महाधिवक्ता उच्च न्यायालय,शिवशंकर सिंह कार्यक्रम प्रभारी,प्रकाश पाल क्षेत्रीय अध्यक्ष, धनंजय जिला प्रचारक,सुनील पाठक जिला अध्यक्ष,कार्यक्रम संयोजक विधायक मनीषा अनुरागी , जयंती राजपूत जिला पंचायत अध्यक्ष कार्यक्रम सह संयोजक, गंगा सिंह वरिष्ठ प्रचारक,हरपाल सिंह चंदेल,केशव सिंह परिहार,उमेश निगम,जगदीश चौहान, तेजपाल राणा, दुष्यंत सिंह परिहार, अभिषेक तिवारी संयोजक हमीरपुर इकाई और बड़ी संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहे।

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