जिले में वायरल फीवर की आई सुनामी, अस्पताल में छाई मनमानी !

बांदा। जिले में वायरल फीवर की “सूमानी ” सी आ गई है। जिला चिकित्सालय में व्यवस्थायें संभाले नहीं सभल रही।मरीजों की जांन सांसत में है।


कभी बारिश तो कभी तेज धूप व उमस मौसमी बीमारियों को बढ़ावा दे रही हैं। सुबह से अस्पतालों में मरीजों की ओपीडी में भीड़ लगने लगती है। गुरुवार को ओपीडी में 608 महिलाएं व 712 पुरुष मरीज उपचार कराने पहुंचे।

1320 मरीजों के होने से पर्चा काउंटर, दवा काउंटरों में मरीजों की लंबी लाइनें लगी रहीं। मरीजों को अपनी बारी आने के लिए काफी देर तक इंतजार करना पड़ा। यही हाल चिकित्सकों के चेंबरों व इमरजेंसी का भी रहा। एक-एक चिकित्सकों को करीब 90 से 100 मरीज तक देखने पड़े।

ओपीडी व इमरजेंसी में 35 से 40 प्रतिशत मरीज इन्हीं बीमारियों के पहुंच रहे हैं। इसके अलावा पेट दर्द व गले में दर्द, पीलिया व टाइफड से भी लोग पीड़ित हो रहे हैं। लेकिन इनका औसत मौसमी बिमारियों की अपेक्षा काफी कम है।

मरीजों की सुविधा के लिए चार काउंटर से दवा वितरण व दो काउंटरों से पर्चे बनवाए जा रहे हैं। चिकित्सकों के चेंबरों के बाहर भी एक-एक कर्मचारी रहते हैं। जिससे मरीज एक साथ चेंबर के अंदर भीड़ न लगाएं।


अस्पताल में रोजाना करीब 200 से 250 मरीज जांच करा रहे हैं। जिसमें 50 से 60 मलेरिया के लक्षण व दो-तीन डेंगू की जांचें होती हैं। डेंगू जांच की एलाइजा रीडर मशीन काफी समय से शोपीस बनी है। कर्मचारी के अभाव में किट से डेंगू की जांच हो रही है।

इसी तरह दवाओं में पांच से छह तरह की एंटीबायोटिक, दर्द व बुखार आदि की दवाएं उपलब्ध हैं। रोजाना दो हजार नए व एक हजार पुराने मरीजों को दवाओं का वितरण हो रहा है।

भीड़ अधिक होने से दिन में कई बार दवा व पर्चा काउंटर में मरीज आक्रोशित हुए। पहले दवा व पर्चा कटवाने को लेकर मरीजों में कहासुनी व धक्का-मुक्की होती रही। विवाद की स्थिति बनने पर अन्य मरीजों ने समझाकर मामले को शांत कराया। कोई भी सुरक्षा कर्मी वहां मौजूद नहीं था।


जिला अस्पताल के वरिष्ठ फिजिशयन एसडी त्रिपाठी का कहना है कि इस सीजन में पसीना ज्यादा निकलता है। इससे कमजोरी व हीमोग्लोबिन कम होने लगता है।वायरल फीवर उड़ान भरने लगता है।

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