बाँदा के कद्दावर नेता रहे पूर्व ऊर्जा मंत्री विवेक सिंह की पत्नी मंजुला सिंह सपा में शामिल

– बाँदा सदर सीट से तीन बार विधायक,सपा सरकार में एक बार ऊर्जा मंत्री रहे विवेक सिंह तेजतर्रार नेता थे।
– बसपा,सपा फिर कांग्रेस में शामिल हुए युवा नेता ने बाँदा की राजनीतिक ज़मीन में कई सोपान स्थापित किये।
– दिवंगत कांग्रेसी नेता कुंअर विवेक सिंह ने कभी प्रशासन के सामने आक्रामक रुख अपनाए रखा।
– बाँदा सदर सीट की क्षत्रिय लाबी ख़ासकर युवाओं में विवेक सिंह की अच्छी पकड़ थी।
– राजनीतिक भविष्य के ढलान और दिवंगत होने के वक्त विवेक सिंह की युवा टीम अवसरवादिता में आज कभी दलजीत सिंह तो कभी विधायक ब्रजेश प्रजापति तो कभी जयराम सिंह बछेउरा के साथ खड़ी नजर आती हैं।
– दिवंगत नेता विवेक सिंह की पत्नी मंजुला सिंह लगातार समाजवादी पार्टी के संपर्क में थी।
– मंजुला सिंह के सपा में आने से बाँदा सदर सीट राजनीति में ब्राह्मण बनाम क्षत्रिय हो जाने के प्रबल संकेत हैं।
– सपा में शामिल हुई मंजुला सिंह को यदि सपा से टिकट मिलता हैं तो सदर सीट से विधायक प्रकाश द्विवेदी या दूसरे भावी प्रत्याशी की राजनीतिक लड़ाई और मुश्किल भरी हो सकती हैं। 
बाँदा। उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 की सुगबुगाहट ने बाँदा की राजनीतिक ज़मीन में उथलपुथल शुरू कर दी हैं। इसकी शुरूआत आज तब होते दिखी जब शहर के पूर्व कद्दावर नेता व सदर सीट से विधायक दिवंगत विवेक सिंह की पत्नी ने समाजवादी पार्टी की सदस्यता गृहण कर ली हैं।

लखनऊ में बीते 23 अगस्त को मंजुला सिंह के बड़े बेटे ईशान सिंह लवी की पूर्व सीएम अखिलेश यादव से शिष्टाचार भेंट होने से इसकी आशंका ने और मजबूती प्रदान की थी। वहीं इसके पूर्व भी दिवंगत नेता विवेक सिंह के देहावसान बाद बाँदा आये अखिलेश यादव का मंजुला सिंह से मिलकर औपचारिक ढांढस बांधना यह सिद्ध कर चुका था कि भविष्य में मंजुला सिंह को स्थानीय जनता की सद्भावना व दिवंगत पति की राजनीतिक छवि पर सपा से उतारना समाजवादी पार्टी के हित मे साबित हो सकता हैं।


गौरतलब हैं कि सदर सीट से लगातार तीन बार विधायक रहे विवेक सिंह कभी बसपा से एमएलए राजनीति शुरू करने के बाद सपा में प्रदेश के ऊर्जा मंत्री रहे है। तत्कालीन सरकार में बाँदा शहर की बिजली और पानी व्यवस्था में चार चांद विवेक सिंह ने लगाया था। वहीं कांग्रेस की सदस्यता लेने के बाद विधायक हुए विवेक सिंह का दूसरा विकल्प बाँदा सदर सीट पर जनता के पास नहीं था।

प्रशासन में युवा नेता की छवि आक्रामक तो वहीं जनता में सकुशल नेतृत्व कर्ता की रही हैं। व्यापारी से लेकर जनता तक में जो मेलजोल विवेक सिंह का था वह आज भी सदर सीट से विधायक प्रकाश द्विवेदी का नहीं बन पाया हैं।

सामान्य आदमी का विवेक सिंह के सिविल लाइन आवास जाकर जनसमस्याओं पर गुहार लगाने से लेकर मौके पर अपने अंदाज में उनका निस्तारण अधिकारियों से कराना यह स्वभाव विवेक सिंह की वोट बैंक का मजबूत आधार था।


वहीं आज सदर सीट से विधायक प्रकाश द्विवेदी के पास जाने में आम नागरिक असमंजस की स्थिति में पड़ जाता हैं। बड़ी बात है विवेक का जनमानस से मिलनसार होना और प्रकाश द्विवेदी का करीबियों को छोड़कर जनता में ठसक पैदा करना यह अंतर ही राजनीतिक उपलब्धियों का बुनियादी प्रतिबिंब हैं।

बतलाते चले कि सपा में शामिल हुई दिवंगत नेता विवेक सिंह की धर्मपत्नी यदि सपा से टिकट हासिल करती हैं तो कहीं न कहीं सदर सीट में नए समीकरण पैदा होने के आसार है।

सूत्रों की मानें तो सपा में शामिल होने से पहले भी सदर सीट से मंजुला सिंह सपा से आ सकती हैं यह कयास जनता के बीच तो थे ही लेकिन सपा के नगरपालिका अध्यक्ष रहे मोहन साहू की जुबान पर भी एकबारगी आ चुके है। मीडिया से दबी आवाज में यह बात कहते हुए मोहन साहू ने अपने टिकट मिलने पर भी फौरी दावा किया था।


देखने वाली बात यह होगी कि राजनीतिक ढलान व जीवन के अंतिम क्षणों में दिवंगत नेता विवेक सिंह को छोड़कर जाने वाली अवसरवादी युवा टीम मसलन लोकेंद्र सिंह (बसपा नेता जयराम सिंह बछेउरा करीबी),पूर्व छात्रसंघ उपाध्यक्ष करन सिंह व अन्य जैसे आज दलजीत सिंह या तिंदवारी विधायक ब्रजेश प्रजापति के साथ खड़े हैं क्या वे लौटकर आएंगे ?

क्या मंजुला सिंह व विवेक सिंह के विश्वास पात्र रहे उनके जनप्रतिनिधि सलमान खुर्शीद,धनंजय सिंह टीटू आदि अवसरवादी टीम पर भरोसा कर बाँदा की राजनीति में मंजुला सिंह को स्थापित कर पायेगी ?
फिलहाल वक्त सपा की आज सदस्यता लेते वक्त उनके साथ स्वराज्य कालोनी से लगातार नगरपालिका सदस्य रहे राजेश गौतम,सलमान खुर्शीद, धनंजय सिंह टीटू व विवेक सिंह का छोटा बेटा यशोवर्धन सिंह मौजूद रहें है। वहीं कुछ अन्य लोगों ने भी सपा की सदस्यता पूर्व सीएम विवेक सिंह के समक्ष गृहण की हैं। विवेक की राजनीतिक विरासत में कई काम मील का पत्थर साबित हुए है क्या वे मंजुला सिंह अपने कर्मपथ से हासिल कर पाएंगी यह वक्त पर छोड़ना बेहतर है। 

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