यूपी विधानसभा चुनाव में जनसँख्या कानून का मुद्दा बनाने की तैयारी में बीजेपी

लखनऊ : उत्तर प्रदेश विधानसभ चुनाव से ठीक पहले जनसंख्या नियंत्रण कानून पर चर्चा अब जोर पकड़ने लगी है। उत्तर प्रदेश और असम सरकार द्वारा प्रस्तावित जनसंख्या नियंत्रण कानून पर चल रही बहस के बीच इस विधेयक के पक्ष में बड़ी संख्या में भाजपा के नेता जोर-शोर से आवाज बुलंद कर रहे हैं। यूपी विधानसभा चुनाव से ठीक पहले जनसंख्या नियंत्रण विधेयक पर ज्यादा से ज्यादा चर्चा भाजपा मौजूदा वक्त में  सियासी लिहाज से बिल्कुल मुफीद मान रही है और यही वजह है कि चुनाव में इसे एक मुद्दा बनाना चाहती है। अगर चुनाव से पहले इस कानून पर मुहर लगती है तो एक तो यूपी के चुनावी नतीजों पर इसके असर का पता भी चल जाएगा, दूसरा राष्ट्रीय स्तर पर इस तरह के कानून के लाने का रास्ता भी भाजपा के लिए प्रश्सत हो जाएगा।

उत्तर प्रदेश में होने वाले 2022 के विधानसभा चुनावों से पहले जनसंख्या नियंत्रण कानून पर चर्चा जनता के मूड को भांपने की भाजपा की वह कोशिश है, जिसके बारे में पार्टी और आरएसएस लंबे समय से बात कर रहे हैं। भाजपा नेताओं के एक वर्ग का मानना ​​है कि जनसंख्या नियंत्रण के बारे में बात करने का यह सही समय है क्योंकि आम जनता अब बढ़ती जनसंख्या के खतरों को समझ चुकी है।

राज्यसभा में एक प्राइवेट मेंबर बिल पेश करने वाले भाजपा सांसद राकेश सिन्हा ने जनसंख्या नियंत्रण कानून को लेकर प्रस्तावित उपाय को रिसोर्स नेशनलिज्म यानी संसाधन राष्ट्रवाद करार दिया। उन्होंने कहा कि हम स्वदेशी की बात करते हैं क्योंकि हम अपने लोगों के लिए अपने संसाधन चाहते हैं। संसाधनों को नागरिकों के बीच समान रूप से वितरित किया जाना चाहिए और यह आने वाली पीढ़ियों के लिए होना चाहिए। उन्होंने कहा कि जनसंख्या वृद्धि आर्थिक, सामाजिक और क्षेत्रीय संघर्षों को जन्म देती है।

पार्टी महासचिव सीटी रवि ने कहा कि जनसंख्या नियंत्रण कानून समय की मांग है। उन्होंने मंगलवार को ट्वीट किया, ‘यह सही समय है जब कर्नाटक अपनी बढ़ती आबादी को नियंत्रित करने के लिए असम और उत्तर प्रदेश की तर्ज पर एक नई जनसंख्या नीति लाए।’ उन्होंने आगे कहा कि सीमित प्राकृतिक संसाधनों के साथ जनसंख्या विस्फोट होने पर प्रत्येक नागरिक की जरूरतों को पूरा करना मुश्किल हो जाएगा।

गौरतलब है कि योगी आदित्यनाथ सरकार ने उत्तर प्रदेश जनसंख्या (नियंत्रण, स्थिरीकरण और कल्याण) विधेयक, 2021 का मसौदा सार्वजनिक किया है और लोगों से सुझाव और टिप्पणियां आमंत्रित की हैं। प्रस्तावित विधेयक दो से अधिक बच्चों वाले लोगों के लिए सरकारी लाभों को प्रतिबंधित करने और एक बच्चे वाले लोगों को प्रोत्साहित करने की बात करता है। ऐसा ही एक बिल असम में भी लाया गया है।

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