खाली रहेंगी निजी स्कूलों में गरीबों की आधी से ज्यादा सीटें

प्रदेश के प्राइवेट स्कूलों में इस वर्ष अपवंचित वर्ग के बच्चों की आधी से ज्यादा सीटें खाली रहेंगी। आखिरी तिथि बीतने तक छह जिलों में 20 हजार से अधिक सीटों के लिए मात्र नौ हजार छात्रों ने ही आवेदन किया है।शिक्षा का अधिकार (आरटीई) अधिनियम के तहत निजी स्कूलों में पहली कक्षा की 25 फीसदी सीटों पर अपवंचित वर्ग के छात्रों को एडमिशन मिलता है।

राज्य सरकार ने राजधानी दून समेत छह जिलों में प्रवेश के लिए इंडस एक्शन के साथ मिलकर ऑनलाइन एडमिशन व्यवस्था शुरू की थी। एक मार्च को आवेदन की आखिरी तिथि थी। इसके बीतने तक छह जिलों के 2498 स्कूलों की कुल 20,254 सीटों के लिए केवल 9,308 छात्रों ने आवेदन किया।

चमोली में सबसे कम आवेदन

देहरादून में 635 स्कूलों में 4533 सीटों के लिए 4480, हरिद्वार में 435 स्कूलों में 4244 सीटों के लिए 764, ऊधमसिंह नगर में 660 स्कूलों में 6633 सीटों के लिए 2476, नैनीताल में 381 स्कूलों में 2873 सीटों के लिए 1203, अल्मोड़ा में 217 स्कूलों में 1229 सीटों के लिए 246 और चमोली में 170 स्कूलों में 742 सीटों के लिए 139 ही आवेदन आए।

आय प्रमाणपत्र ने बढ़ाई दिक्कत
आरटीई में वही छात्र-छात्राएं आवेदन कर सकते हैं, जिनके अभिभावक की सालाना आय अधिकतम 55 हजार रुपये हो। इस लिहाज से देखा जाए तो उनके पास 4500 रुपये प्रतिमाह का आय प्रमाणपत्र होना चाहिए। जबकि राज्य सरकार छह हजार रुपये मासिक से कम का आय प्रमाणपत्र नहीं बना रही है। तय आय का प्रमाणपत्र न होने के चलते कई अभिभावक आवेदन नहीं कर पाए।

कुछ दिन मोहलत देने की मांग

कई अभिभावकों ने शिक्षा विभाग से एडमिशन के आवेदन के लिए कुछ दिन की मोहलत देने की मांग की है। अभिभावकों के अनुसार आय प्रमाणपत्र समय पर न बन पाने के कारण वह आवेदन नहीं कर पाए हैं। इसलिए उन्हें आवेदन के लिए कुछ दिन का समय मिलना चाहिए।

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