करत करत अभ्यास के जड़मति होत सुजान

सफलता उसी को मिलती है जो उसके पीछे हाथ धोकर पीछे पड़े रहता है। अक्सर हम थोड़ी या छोटी.छोटी बातों के बिगडऩे पर निराश हो जाते हैं जो काम हाथ में लेते हंै उसे छोड़ देते हैं। हमारी उत्कंठ इच्छाएं भी पूरी नहीं हो पातीं

। कहीं न कहीं हमारे प्रयास में ही कमी रह जाती है। ऐसा कहा जाता है कि जो काम हाथ में लिया जाए वह पूरा करना चाहिए या पूरा होना चाहिए। हम अक्सर निराशा के सागर में गोते लगाते रहते हैं। सफलता चलकर किसी के पास नहीं आती। उसके लिए पीछे पडऩा पड़ता है। सफलता के पीछे पडऩा एक मानसिक प्रक्रिया है।

मूर्ख भी सफल हो जाते हैं। कहा भी है कि करत करत अभ्यास के जड़मति होत सुजान। आपका दिन वैसा ही होता है जैसा कि आप उसे बनाते हैं। कोशिश जारी रहनी चाहिए। सुझावए सलाह और उपदेश देना बहुत सरल काम है। सिर्फ जबान हिलानी पड़ती है पर काम मेहनत चाहता है। कोई बात बिगड़ जाए तो उसे सुधारने की कोशिश होनी चाहिए।

गल्तियां सबसे हुई हैं और होती भी है। बस उसके साथ अन्य पहलू जुड़े हुए हैं जैसे उसे स्वीकार करना भविष्य में ऐसा न हो यह प्रण करना। यह प्रण हममें साहस का संचार करेगा। जब हम दूसरों को खुशी देते हैं तो वह कई गुना होकर हमारे पास लौटती है। गलत विचार मन में आते ही पहले उसका निराकरण हो।

उसे सही रास्ते पर लाने का प्रयास हो। सब संभव है असंभव कुछ भी नहीं है। सही रास्ता पकड़ें तो मंजिल पर पहुंच जाएंगे। आशा और विश्वास के साथ आगे बढ़ें। सफलता हमारे कदम चूमेगी। आपका दिन आपका जीवन वैसा ही है जैसा आप उसे बनाते हैं। कुछ भी बैठे बिठाए नहीं मिलता। प्रयास तो करना ही पड़ता है। प्रयासों में कमी नहीं होनी चाहिए।

मेहनत का फल देर सबेर जरूर मिलता है। हमने जितना पढ़ा हैए जाना हैए प्रयास सभी ने किया। सफलता भी देर सबेर मिलती ही है तो मेहनत करते रहोए सफल हों और जीवन को सुखमय बनाएं। बस यही मेरा संदेश है।

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