लहर पर पहरा

यूं तो भारत के शीर्ष चिकित्सा वैज्ञानिक पहले ही चेता रहे थे लेकिन अब विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रमुख डॉ. टेड्रोस गेब्रेयेसस ने चेताया है कि दुनिया के कई भागों में तीसरी लहर ने दस्तक दे दी है। भारत संवेदनशील है क्योंकि यहां पहले से ही डेल्टा वेरिएंट बेहद सक्रिय है। डॉ. टेड्रोस का मानना है कि सिर्फ वैक्सीन के बूते ही महामारी को नहीं रोका जा सकता, इससे निपटने के लिये लगातार सावधानी रखनी होगी। इसके बल पर कई देशों ने वायरस को रोका है।

निस्संदेह तीसरी लहर की चेतावनी को मौसम की भविष्यवाणी की तरह नहीं लिया जा सकता, लेकिन फिर भी सतर्क रहने की जरूरत है। केंद्र सरकार भी लगातार कोरोना से बचाव के बुनियादी उपायों, मसलन सुरक्षित दूरी और मास्क लगाने की वकालत करती रही है। भारत में भी डेल्टा वेरिएंट के बढ़ते मामलों और वायरस के म्यूटेट होने से कोरोना की तीसरी लहर दस्तक दे सकती है। डब्ल्यूएचओ के मुताबिक दुनिया के कई देशों में हाल ही में संक्रमण के मामलों और मौतों में वृद्धि हुई है।

हालांकि, यूरोप व उत्तरी अमेरिका में वैक्सीन का दायरा बढ़ाने से नये मामलों में कमी आ रही थी। लेकिन वायरस खुद में बदलाव करते हुए ज्यादा संक्रमक हो रहा है। डेल्टा वेरिएंट दुनिया के 111 से अधिक देशों में दस्तक दे चुका है। ऐसे ही अल्फा, बीटा व गामा वायरस दुनिया के सैकड़ों देशों में कहर बरपाते रहे हैं। मामलों की संख्या में सबसे ज्यादा वृद्धि अमेरिका व स्पेन में देखी गई है, लेकिन नये केस ब्राजील में ज्यादा हैं।

कमोबेश भारत में भी ऐसी चिंता इसलिये जतायी जा रही है क्योंकि पाबंदियों में छूट से जोखिम बढ़ा है। राज्य बंदिशों में ढील दे रहे हैं और बाजार के खुलने से लोगों की सक्रियता बढ़ी है। दरअसल, चिंता की एक वजह यह भी है कि देश में वैक्सीनेशन की रफ्तार भी उम्मीदों के मुताबिक गति नहीं पकड़ पायी है। वहीं अब अधिक केस ग्रामीण इलाकों से आ रहे हैं। देश के बीस फीसदी जिले ऐसे हैं जो दूसरी लहर से मुक्त नहीं हो पाये हैं, वहां तीसरी लहर की बात होने लगी है।

इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च यानी आईसीएमआर के महामारी व संक्रामक बीमारियों से जुड़े विभाग का मानना है कि अगस्त के अंत तक तीसरी लहर दस्तक दे सकती है। कोविड नियमों का पालन न होने की वजह से इंडियन मेडिकल एसोसिएशन भी ऐसी चिंता जता चुकी है। दरअसल, आईसीएमआर ऐसी आशंकाओं की चार वजह बताता है। पहले यह कि कोरोना की पहली व दूसरी लहर के दौरान जो इम्युनिटी हासिल हुई है, यदि उसमें गिरावट आती है तो तीसरी लहर आ सकती है।

वहीं यदि नया वेरिएंट इम्युनिटी को चकमा देने लगे तो संकट बढ़ेगा। एक कारण यह हो सकता है कि नया वेरिएंट इम्युनिटी और वैक्सीन को धोखा दे दे। तीसरा यह कि भले ही वायरस रोग प्रतिरोधक क्षमता को चकमा न दे सके लेकिन वह तेजी से फैलने की क्षमता रखता हो। वहीं चौथी वजह यह कि यदि राज्य पाबंदियों को समय से पहले हटा लें तो संक्रमण के मामलों में तेजी आयेगी।

निस्संदेह गिरावट के बाद हाल के दिनों में फिर से संक्रमण के मामलों का चालीस हजार के ऊपर पहुंचना हमारी चिंता का विषय है। गाहे-बगाहे केंद्र सरकार भी मास्क व शारीरिक दूरी के नियमों पर सख्ती से पालन करने की बाबत राज्यों को चेताती रही है। यहां तक कि लापरवाह अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई को कहा है।

खासकर कई राज्यों में हिल स्टेशनों पर जुटने वाली भीड़ के कोरोनो से बचाव के नियमों का पालन न करने के बाबत चेताया है। निस्संदेह हमारी लापरवाहियां भारी पड़ सकती हैं। वक्त की मांग है कि राज्य जांच, निगरानी, उपचार, टीकाकरण तथा कोविड बचाव के अनुरूप व्यवहार का सख्ती से पालन करें। वहीं एम्स के डायरेक्टर डॉ. रणदीप गुलेरिया का कहना है कि यदि कोरोना वायरस नये स्वरूप में उभरते हैं तो मौजूदा टीकों में कुछ बदलाव किया जा सकता है। उनका ये बयान उम्मीद जगाने वाला है।

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