बेसहारा गोवंश के स्वच्छंद विचरण से किसान खरीफ की फसलें बोने से मरहूम

खाली पड़े हैं ब्लाक के सभी गौ संरक्षण केंद्र

भरुआ सुमेरपुर। पिछले 3 माह से अस्थाई गौशालाओं से रिहा किया गया बेसहारा गोवंश गांवों में खुलेआम विचरण कर रहा है. इससे पर्याप्त बारिश होने के बाद किसान खरीफ की फसलें बोने का साहस नहीं जुटा पा रहा है. उधर पंचायत सचिव पिछले 4 माह से भूसा चौकीदार चरवाहों के नाम पर धन आहरण करके बंदरबांट करने में जुटे हुए हैं.
जबकि जमीनी हकीकत यह है कि मार्च से अन्ना गोवंश ने किसी अस्थाई गौशाला में कदम नहीं रखा है. ब्लॉक की 57 ग्राम पंचायतों मे अस्थायी गो संरक्षण गृह बनाकर बेसहारा गोवंश को संरक्षित किया गया था. सरकार के आदेशानुसार इस बेसहारा गोवंश को वर्ष पर्यंत संरक्षित रखा जाना है. इसके खाने-पीने के सारे इंतजाम पंचायतों की ओर से किए जाने थे.
लेकिन यहां ऐसा कुछ नहीं है. मौजूदा समय में किसी भी गौ संरक्षण केंद्र में एक भी गोवंश संरक्षित नहीं है. सभी को रिहा कर दिया गया है. मार्च माह से यह गांवो की गलियों खेत खलिहानो में मारा मारा घूम रहा है.
इनका कोई पुरसाहाल नहीं है. कमाल की बात यह है कि पंचायत सचिव मार्च माह से अब तक भूसा चौकीदारों चरवाहों के नाम पर प्रतिमाह धन का आहरण करके घोटाला करने में जुटे हुए हैं. बेसहारा गोवंश के खुलेआम विचरण करने से विगत दिवस पर्याप्त बारिश हो जाने के बाद भी क्षेत्र का किसान खरीफ की फसलें बोने का साहस नही जुटा पा रहा है.
किसान सुरेश यादव, राधेश्याम तिवारी, भोला तिवारी, संतोष सिंह ने बताया कि दशकों बाद आषाढ़ माह का आगाज होने के पूर्व पर्याप्त बारिश हुई है. इसका लाभ भी किसानों को उठाना चाहिए. परंतु ऐसा नहीं हो रहा है क्योंकि बेसहारा गोवंश के स्वच्छंद विचरण से फसलें चौपट हो जाने के पूरे आसार हैं. लिहाजा किसान इसी भय से खरीफ की फसलें नहीं बो रहे हैं. एक कहावत है कि 13 कार्तिक 3 आषाढ़, मतलब खेती किसानी में रबी की फसलों के लिए कार्तिक मास के 13 दिन बेहद महत्वपूर्ण होते हैं.
इसी तरह आषाढ़ मास में महज 3 दिन में खरीफ की फसल बो जानी चाहिए. अन्यथा बाद में मौका मिलने के कम आसार होते हैं. मगर किसान आषाढ़ माह में अन्ना गोवंश के समक्ष अपने आप में असहाय महसूस कर फसलें बोने से कतरा रहा है. क्योंकि बारिश में अन्ना गोवंश से फसलें बचा लेना टेढ़ी खीर के मानिंद है. सहायक विकास अधिकारी पंचायत सत्य प्रकाश गुप्ता ने बताया कि बेसहारा गोवंश को रिहा करने की जानकारी उनके पास नहीं है.
वह पंचायतों का दौरा करके अन्ना गोवंश के संरक्षण की जमीनी हकीकत को देखेंगे. अगर बेसहारा गोवंश छुट्टा घूमता हुआ पाया गया तो संबंधित सचिव के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. पशु चिकित्सा अधिकारी डा. पंकज सचान ने बताया कि ब्लॉक की 57 ग्राम पंचायतों के साथ कस्बे के कान्हा पशु आश्रय स्थल में 5380 बेसहारा गोवंश संरक्षित है. गर्मी के सीजन में चरवाहे इनको खेतों में ले जाकर चराते हैं. रात्रि में इनको गौशालाओं में लाकर संरक्षित किया जाता है।
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