नीचे आएंगी कीमतें

देश की आर्थिक स्थिति पर समीक्षा मेरे मित्र कृषि मंत्री अहमद, एन के पी साल्वे तथा आर के सिन्हा द्वारा की जा चुकी है। विपक्ष के सदस्यों ने श्रीमती गांधी तथा कांग्रेस पार्टी की निंदा के अतिरिक्त कुछ नहीं कहा। यद्यपि मैं उनसे ठोस और प्रभावी उपायों की अपेक्षा कर रहा था। यह तो ठीक है कि कीमतें बढ़ी हैं।

अब यह पता लगाना है कि इसका मूल कारण क्या है। …कीमत वृद्धि मुख्यत: कृषि-उत्पादों में हुई है, उन वस्तुओं में, जिनकी फसल प्रभावित हुई थी। अब यह कहना कि महंगाई का कारण सरकारी नीतियां हैं, कहां तक ठीक है

? यह कहना उचित नहीं है कि सरकार की नीतियों के चलते कृषि संबंधी वस्तुओं का उत्पादन संतोषजनक नहीं हुआ है। माननीय सदस्यों को पता है कि हमें एक युद्ध का सामना करना पड़ा है और युद्ध के बाद भी इस देश में एक करोड़ लोगों को भोजन देना पड़ा है।

इस वर्ष भी कठिन स्थिति के बावजूद हमें बांग्लादेश को अनाज पहुंचाना था। हमने अनाज का काफी बड़ा भंडार जमा कर रखा था और इसीलिए हम अपने देश की रक्षा कर सके हैं। गत वर्ष पूर्वी भारत के अधिकांश हिस्से में बाढ़ आई थी और पश्चिमी, मध्य और दक्षिण भारत के अधिकांश भागों में अकाल की स्थिति पैदा हो गई थी ।

इस वर्ष भी खरीफ की फसल नष्ट हो गई है। आज हमारे देश को दैवी विपत्ति का सामना करना पड़ रहा है। ऐसी स्थिति में सभी राजनीतिक दलों का कर्तव्य है कि वे किसी दल विशेष के हितों का ध्यान न रखकर सरकार के साथ सहयोग करें और देश को इस विपत्ति से बचाने के लिए उसकी मदद करें।


हम रबी के मौसम में उत्पादन बढ़ाने के लिए और हमारे पास जो कुछ उपलब्ध है, उसका उचित वितरण करने के लिए भरसक प्रयत्न कर रहे हैं। आगामी कुछ महीनों में पानी के अभाव के कारण लाखों पशुओं के लिए कठिन स्थिति पैदा हो सकती है। माननीय सदस्य हमारी आलोचना कर सकते हैं, पर उन्हें राष्ट्रहित ध्यान में रखकर इस समस्या पर विचार करना चाहिए। यह समस्या महंगाई की समस्या से कहीं अधिक गंभीर है ।


… हमारे देश की 50 प्रतिशत जनता गंदी बस्तियों और देहातों में रहती है और हमें हर कीमत पर उनका ध्यान रखना है, ताकि उन्हें कोई कठिनाई न हो। जहां तक अनाज के व्यापार का नियंत्रण अपने हाथ में लेने का संबंध है, सरकार ने निर्णय किया है कि वह चावल और गेहूं के व्यापार को अपने हाथ में लेगी, ताकि वितरण प्रणाली में कोई बाधा न पड़े।

हमने राज्य सरकारों से कह दिया है कि वे इस निर्णय को क्रियान्वित करने के लिए तैयार रहें। जहां तक अनाज के वितरण की वर्तमान व्यवस्था का संबंध है, मैं यह नहीं कह सकता कि सब जगह वह संतोषजनक होगी। परंतु मैं माननीय सदस्यों से अनुरोध करता हूं कि जहां व्यवस्था संतोषजनक नहीं है, वहां सुधार करने के लिए वे अपना सहयोग दें।


…मैं इस बात को स्वीकार करता हूं कि वितरण प्रणाली में सुधार करने की गुंजाइश है। मैं यह नहीं कहता कि सब कुछ ठीक है। हम अवश्य सुधार करेंगे और मुझे आशा है कि अंततोगत्वा हमारी वितरण प्रणाली सफल होगी।

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