महिलाओं की स्थिति सुधारिए

जनसंख्या के इस प्रश्न पर मैं सभा को अपना अनुभव बताना चाहती हूं। मेरी कोई संतान नहीं है। मेरा एक ही बच्चा था, जिसकी मृत्यु 11 महीने की आयु में हो गई थी। अत: हमने यह निर्णय लिया कि हम और संतान को जन्म नहीं देंगे, क्योंकि हम उस बच्चे पर उचित ध्यान नहीं दे सके।

इस बात को ग्रामीण महिलाओं द्वारा गंभीरता से लिया गया और 1953 में ग्रामीण महिलाओं के कहने पर शिशु जन्म को रोकने के संबंध में मैंने पहला शिविर आयोजित किया। महोदय, ऐसा मैं इसलिए कह रही हूं कि हमें यह समझना चाहिए कि हमारे पितृ प्रधान समाज में महिलाएं संतानोत्पत्ति के प्रश्न का निर्धारण नहीं करती हैं। फिर भी वे अपने और अपने बच्चों के स्वास्थ्य का ध्यान रखते हुए इन बातों पर कि वे ज्यादा बच्चे पैदा नहीं करेंगी, कितना ध्यान देती हैं?

इसीलिए, इस बात को समझ जाना चाहिए कि हमारी जनसंख्या संबंधी नीति में लक्षित समूह पुरुष होने चाहिए, न कि स्त्रियां, क्योंकि महिलाएं इसे तय नहीं करती हैं, परंतु दुर्भाग्यवश जब कभी भी हम जनसंख्या संबंधी नीति पर बोलते हैं, तो लक्षित समूह महिलाएं होती हैं। ऐसा क्यों है? लक्षित समूह पुरुष होने चाहिए।

इस विषय में हम गंभीरता से कार्य करना चाहते हैं, तो ऐसा करना होगा। महोदय, यह बात सब जानते हैं कि हमारे देश में महिलाओं और पुरुषों का अनुपात प्रतिकूल है। हमारे देश में प्रति हजार आबादी में पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं की संख्या कम है। महिलाओं और पुरुषों के अनुपात में हमारे समाज में स्त्री की निम्न स्थिति विवाह की कम आयु, कम साक्षरता, उच्च प्रजनन क्षमता और प्रजनन के दौरान उच्च मृत्यु दर के कारण हुई है। 


…शरद पवार ने काहिरा में सन 1994 में आयोजित जनसंख्या और विकास संबंधी अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का उल्लेख किया था। सम्मेलन की अपनी कार्य योजना थी, जिसे सरकार द्वारा अपनाया या स्वीकार किया गया था। उस सम्मेलन की कार्य योजना में क्या कहा गया है? इसमें कहा गया है कि विकासशील देशों के परिवार नियोजन कार्यक्रम को सामूहिक स्तर पर जनसंख्या की प्रजनन क्षमता के स्तरों को प्रभावित करने के लिए नीति संबंधी हस्तक्षेप करने वाले उपायों के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए।

कार्ययोजना यह सिफारिश करती है कि परिवार नियोजन कार्यक्रम को महिलाओं के स्वास्थ्य, प्रजननात्मक स्वास्थ और स्त्री-पुरुष की समानता के लिए लक्षित कार्यक्रम के अभिन्न अंग के रूप में देखा जाना चाहिए। इसमें सिफारिश की गई है कि अपने परिवार के आकार और संतानों की आयु में अंतर रखने के संबंध में स्त्री के अधिकारों का सम्मान किया जाना चाहिए। …जैसा पहले कह चुकी हूं, इस कार्य योजना पर हस्ताक्षर करने वाले देशों में भारत भी है।

परंतु क्या हम उस प्रकार से कार्य कर रहे हैं? हम उस कार्य योजना के अनुरूप कार्य नहीं कर रहे हैं। हमारी नीति भी इस कार्य योजना के अनुरूप नहीं है। मैं मांग करती हूं कि यदि हम जनसंख्या को कम करने के प्रति वास्तव में गंभीर हैं, जो कि बहुत ही महत्वपूर्ण बात है, तो हमें वास्तविक रूप से इस कार्य योजना, जिस पर हमने भी हस्ताक्षर किए हैं, के अनुरूप कार्य करना चाहिए।…

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