आपने क्या किया था

मैं माननीय दंडवते जी का बड़ा सम्मान करता हूं। सदन के वरिष्ठतम सदस्य हैं और आज मैं उनकी कई बातों से सहमति भी व्यक्त करता हूं। …उन्होंने बताया कि गरीबी के क्या कारण हैं, उनसे भी मेरी अहसमति नहीं है, लेकिन इन्होंने जनता पार्टी की अपनी उपलब्धियों पर जो प्रकाश डाला, उससे मेरा मतभेद है।

उन्होंने अपने भाषण के दौरान कहा कि इस देश से गरीबी तभी मिट सकती है, जब कृषि में 6. 7 प्रतिशत वृद्धि हो, इससे मैं सहमत हूं। …मैं उनको याद दिलाना चाहता हूं उस सरकार के बारे में, जिसमें वह रेल मंत्री थे। जनता पार्टी के समय में अर्थव्यवस्था को इन्होंने जर्जर कर दिया था और आज हमसे अपेक्षा करते हैं कि 6.7 प्रतिशत कृषि उत्पादन वृद्धि हो?

मैं आपको याद दिलाना चाहता हूं कि 1979-80 में इन्होंने अर्थव्यवस्था को इतना खराब कर दिया था कि कृषि उत्पादन 17 प्रतिशत नीचे चला गया था, औद्योगिक उत्पादन वृद्धि दर, जो आपातकाल के समय 10 प्रतिशत पर थी, उसको इन्होंने 1. 4 प्रतिशत कर दिया।

ये इनकी उपलब्धियां थीं। एक अर्थव्यवस्था, जो उत्तरोत्तर प्रगति कर  रही थी, …अर्थव्यवस्था को ठीक करने के लिए जो प्लान चल रहा था, उसको भी इन्होंने समाप्त कर दिया। …चाहे इस्पात उत्पादन हो, चाहे सीमेंट उत्पादन हो, चाहे बिजली हो, चाहे कोयला उत्पादन हो, सबमें कमी आई। कोयले की कमी के कारण जहां पावर स्टेशन बंद हुए, वहीं सवारी और माल गाड़ियां भी बंद हुईं।1980 में हमारी प्रधानमंत्री ने नेतृत्व संभाला।

उन्होंने वादा किया कि हमारी सरकार देश में समृद्धि लाएगी और जो सामाजिक विषमता है, वह दूर होगी और इसी लाइन पर उन्होंने देश का शासन चलाया और नतीजा क्या हुआ, वह आपने चार साल में देखा। …आपने देखा होगा कि कल ही हमारे राष्ट्रपति जी ने कोयला, सीमेंट और बिजली उत्पादन के बारे में बताया।

… हमारी बहुत ही आशाजनक उपलब्धियां रही हैं। …मैं यह कहना चाहता हूं कि गरीबी की रेखा से नीचे रहने वाले लोगों के लिए हमने कार्यक्रम चलाए। कल ही राष्ट्रपति ने कहा कि किस प्रकार से हमने 140 लाख से ज्यादा लोगों को इन चंद वर्षों में गरीबी रेखा से ऊपर उठा दिया। प्रोफेसर मधु दंडवते को मैं याद दिलाना चाहता हूं कि उस समय बैंकों की क्या स्थिति थी? मैं यह मानने के लिए तैयार हूं कि जब कुछ नई स्कीमें आती हैं, तो कठिनाइयां भी पैदा हो जाती हैं।

इसके बावजूद राष्ट्रीयकृत बैंकों से हमारे सारे कार्यक्रमों में सहयोग देने के लिए कहा गया। जिस गति से हमने इन सारे कार्यक्रमों को आगे बढ़ाया है, वह आज राष्ट्र के सामने है। यही कारण है कि यहां पर आज वही लोग बैठे हुए हैं, जिन पर पुनर्मूषकोभव वाली कहावत चरितार्थ होती है। भाजपा के लोगों ने ‘हम दो हमारे दो’ का नारा दिया। इसके लिए भाजपा के लोगों को बधाई देना चाहूंगा, क्योंकि उन्होंने इस नारे को अपने लिए अपना लिया।

हिन्दुस्तान का जनमानस जाग गया है। गरीबी की रेखा से ऊपर उठाने की बात हो या कृषि उत्पादन की बात, देश की जनता ने स्वागत किया है। मैं अपने नए प्रधानमंत्री को बधाई देता हूं, क्योंकि उन्होंने उन सारी नीतियों को अपनाया है, जिनको हमारी स्वर्गीय प्रधानमंत्री ने अपनाया था। मैं अभी विस्तार में नहीं जाना चाहता।

यहां पर अभी यह कहा गया है कि जमीनों का वितरण सही नहीं हुआ है। क्या यह सही नहीं है कि हमने इस दिशा में सुधार के लिए उत्तरोत्तर कदम बढ़ाए हैं?   यहां पर प्रोफ्रेसर दंडवते ने अंत्योदय की बात कही, लेकिन मैं आपसे कहना चाहता हूं कि वह आपके समय का कोई कार्यक्रम नहीं था। वह कार्यक्रम तो मात्र, इनके जितने कार्यकर्ता थे, उनको पालने-पोसने का कार्यक्रम था और इसके सिवाय कुछ नहीं था।

…मैं आपका ध्यान 1982-83 की ओर दिलाना चाहता हूं, जब देश में 21 करोड़ जनता को सूखे, बाढ़, तूफान आदि प्राकृतिक आपदाओं का सामना करना पड़ा। जब सारे देश में प्राकृतिक आपदाओं के कारण तबाही हुई, जिसकी मिसाल पूरे इतिहास में नहीं मिलती, पर उस समय भी हमने किसी को भूख से नहीं मरने दिया।…तमाम प्राकृतिक कमियों, खामियों के बावजूद राष्ट्रीय उत्पादन में छठी पंचवर्षीय योजना में हमने जो लक्ष्य रखा था, हम उससे काफी आगे बढ़ गए हैं…। हमारा विदेशी मुद्रा भंडार साढ़े छह हजार करोड़ रुपये का हो गया है। यह सब इस बात का द्योतक है कि हमारी नीतियां कारगर सिद्ध हुई हैं और हम निरंतर प्रगति करते जाएंगे…।

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