साढ़े तीन माह में प्रशासक एवं सचिवों ने करीब एक करोड़ सत्तर लाख डकारें
भरुआ सुमेरपुर। शासन की गाइड लाइन के अनुसार संरक्षित बेसहारा गोवंश के लिए प्रतिदिन 30 रुपये की धनराशि देय है. मार्च माह से लेकर 15 जून तक गोवंश को संरक्षित करने के नाम पर भूसा चारा के लिए करीब एक करोड़ 69 लाख 47 हजार रुपये का हिसाब किताब बनता है. इस दरम्यान पंचायतों में प्रशासक का कार्य एडीओ पंचायत एवं सचिव संभाले रहे हैं.
भूसा चारा के नाम इस साढ़े तीन माह की अवधि में कितना भुगतान किया गया. इस पर कोई मुंह खोलने को तैयार नहीं है. लेकिन जिस तरह से गौवंश के संरक्षित होने का दावा किया जा रहा है. उस हिसाब से करोड़ों का खेल भूसा चारा के नाम पर किया गया है.
सरकारी आंकड़ों के हिसाब से कस्बे के कान्हा गोवंश आश्रय स्थल के साथ ब्लॉक के 57 ग्राम पंचायतों में 5380 बेसहारा गोवंश संरक्षित है. सरकार की गाइडलाइन के अनुसार एक गोवंश के रखरखाव में 30 रुपये प्रतिदिन खर्च किया जाना है. इस लिहाज से 1 दिन में 1लाख 61हजार 400 रुपये होते हैं और एक माह में 48 लाख 42 हजार रुपए व्यय होते हैं.
अगर साढ़े तीन माह का हिसाब लगाया जाए तो 1 मार्च से 15 जून तक एक करोड़ 69 लाख 47 हजार रुपए की धनराशि व्यय हुई है. इसमें कितना भुगतान पंचायतों के खातों से प्रशासक और सचिव ने निकाला है. इस पर सभी चुप्पी साधे हैं. अगर इस प्रकरण पर किसी निष्पक्ष जांच एजेंसी जांच कराई जाए तो निश्चित ही बिहार के चारा घोटाला की तरह यहां भी एक बड़ा घोटाला सामने आ सकता है।