महावीर सिंह मां भारती के अप्रितम योध्दा थे:डा० भवानीदीन

 हमीरपुर। वर्णिता संस्था के तत्वावधान मे विमर्श विविधा के अन्तर्गत जरा याद करो कुर्बानी के तहत आजादी का एक बेमिसाल मतवाला शहीद महावीर सिंह की जयन्ती ( 26 सितम्बर ) पर संस्था के अध्यक्ष डा भवानीदीन ने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि  महावीर सिंह सही मायने मे मा भारती के अप्रतिम योद्धा थे,उनके योगदान को भुलाया नहीं जा सकता है, महावीर एक सच्चे देशभक्त थे,इनका 16  सितम्बर 1904 को एटा के पास शाहपुर टहला नामक गाव मे देवी सिहं के घर जन्म हुआ था।

शुरुआती शिक्षा गावं मे प्राप्त कर कानपुर के डी ए वी कालेज मे प्रवेश लिया था,जहां पर महावीर की मुलाकात चन्द्रशेखर आजाद से हुई थी,उसके बाद ये भगतसिंह के परम मित्र बन गये थे, बचपन से ही इनकी मनोभूमि मे देश प्रेम का अंकुरण हो गया था।

आजादी के संघर्ष की लगभग हर कार्य योजना मे महावीर की प्रतिभागिता रहती थी,1929 का असेम्बली बम कान्ड हो या सान्डर्स वध हो,इन सब घटनाओं से महावीर सिंह कहीं न कहीं जुडे रहे, इनका जीवन परिवार की अपेक्षा देशप्रेम पर अधिक केन्द्रित रहा, महावीर ने अपने पिता के शादी के आग्रह को मना कर अपने जीवन की पूर्व पीठिका  निश्चित कर दी थी, वे मातृभूमि के लिए अपने जीवन को समर्पित कर चुके थे।

कालान्तर मे भगतसिंह ,राजगुरु और बटुकेश्वर दत्त के साथ ही लाहौर षडयंत्र केस मे गिरफ्तार कर लिए गये, अंग्रेजों ने उम्र कैद की सजा दी,इन्हें पंजाब और तमिलनाडु की जेलों मे रखा गया, बाद मे अन्डमान निकोबार की सेलुलर जेल मे इन्हें स्थानांतरित कर दिया गया, कैदियों के प्रति गोरों के अमानवीय व्यवहार को लेकर महावीर सिंह ने जेल मे भूख  हडताल की,जो 63 दिनों तक चली,आठ दस पहलवान हर दिन इन्हें जबरन दूध पिलाने का प्रयास करते थे, पर बलिष्ठ महावीर से पार नहीं पा पाते थे।

अन्ततः एक दिन जबरन दूध पिलाते समय दूध फेफड़ों मे चला गया, इस तरह अन्त मे मात्र 29 वर्ष का एक युवा देशभक्त 17 मई 1933 को वीरगति को प्राप्त हो गया, इनकी शहादत बेजोड़ रही।कार्यक्रम मे अवधेश कुमार गुप्ता एडवोकेट, अशोक अवस्थी, रमेश चंद्र गुप्ता, वृन्दावन गुप्ता, कल्लू चौरसिया और आयुष गुप्ता आदि रहे।

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