सविमं मे विश्वकर्मा जयन्ती मनाई गयी
हमीरपुर। स्थानीय सरस्वती विद्या मंदिर इंटर कॉलेज मे आज विश्वकर्मा जयंती केशव भवन सभागार मे मनाई गयी। कार्यक्रम की शुरुआत सरस्वती वन्दना समसमायिक गीत एवं भगवान विश्वकर्मा के चित्र पर दीप प्रज्जवलन व पुष्पार्चन के साथ हुई।
इस अवसर पर विद्यालय के प्रधानाचार्य रामप्रकाश गुप्ता ने बोलते हुए कहा कि देवशिल्पी बाबा विश्वकर्मा को पौराणिक काल का सबसे बड़ा सिविल इंजीनियर माना जाता है तथा आज के ही दिन भगवान विश्वकर्मा का जन्म हुआ था।
इस अवसर पर उन्होने समस्त स्टाफ को विश्वकर्मा जयंती की शुभकामनाये दी। इस अवसर पर विद्यालय के आचार्य रमेश शुक्ल ने बोलते हुए कहा कि सृष्टि के प्रारम्भ मे सर्वप्रथम नारायण अर्थात साक्षात् भगवान विष्णु सागर मे शेष शैय्या पर प्रकट हुए।
उनके नाभिकमल से चर्तुमुख ब्रहमा दृष्टिगोचर हो रहे थे। ब्रहमा के पुत्र धर्म तथा धर्म के पुत्र वास्तुदेव हुए। कहा जाता है कि धर्म की वस्तु नामक स्त्री से उत्पन्न वास्तु सातवें पुत्र थे जो शिल्पशास्त्र के आदि प्रर्वतक थे।
उन्हीं वास्तुदेव अंगिरसी नामक पत्नी से विश्वकर्मा उत्पन्न हुए। पिता की भॉति विश्वकर्मा भी वास्तु कला के अद्वितीय आचार्य बने। ऐसी मान्यता है प्राचीन काल की राजधानियॉ जैसे सतयुग का स्वर्गलोक, त्रेतायुग की लंका, द्वापर की द्वारिका या फिर कलियुग का हस्तिनापुर हो या सुदामापुरी की तत्क्षण की रचना के बारे मे भी यह कहा जाता है कि उसके निर्माता विश्वकर्मा ही थे।
इस अवसर पर विद्यालय के आचार्य प्रमोद सोनी ने भी अपने विचार रखे। कार्यक्रम का संचालन कार्यक्रम प्रमुख आचार्य बलराम सिंह ने किया तथा आभार ज्ञापन संगीताचार्य ज्ञानेश जडि़या ने किया।
इस अवसर पर विद्यालय के समस्त स्टाफ ने भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री मा0 नरेन्द्र मोदी को जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाये ज्ञापित की। अन्त मे वन्दे मातरम् के साथ कार्यक्रम समाप्त हुआ। यह जानकारी विद्यालय के मीडिया प्रभारी आचार्य वेदप्रकाश शुक्ल ने दी।