दोहरी चुनौती

पहले ही कोरोना की मार से बुरी तरह प्रभावित केरल की मुसीबतें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। यहां तेजी से कोरोना संक्रमण हुआ है। प्रतिदिन संक्रमितों की संख्या पूरे देश के कुल आंकड़ों के आधे से अधिक है। दरअसल, पिछले माह त्योहारों के दौरान कोरोना पाबांदियों में छूट दिये जाने के बाद कोरोना संक्रमण के मामलों में अप्रत्याशित तेजी आई है। हालांकि, केरल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के उन निर्देशों की अवहेलना की थी, जिसमें कोरोना कर्फ्यू में तीन दिन की छूट न देने को कहा गया था। कभी पूरे देश में कोरोना नियंत्रण की मिसाल बने केरल में फिर कोरोना संकट भयावह हो गया। दरअसल, केरल अब दोहरे संकट में घिरा है।

केरल के कोझिकोड में खतरनाक निपाह वायरस के चपेट में आने से एक बारह वर्षीय लड़के की मौत हुई है। ऐसे में कोरोना संकट से मुक्त होने की जद्दोजहद में जुटे केरल की मुश्किलें बढ़ गई हैं। यह एक ऐसी आपदा की दस्तक है, जिसका दुनिया में कोई इलाज मौजूद नहीं है और जिसमें मृत्यु दर बेहद अधिक है। हालांकि, अच्छी बात यह है कि संकट की आहट पाते ही केंद्रीय विशेषज्ञ चिकित्सकों का दल केरल पहुंचकर समन्वय स्थापित कर रहा है।

वहीं राज्य सरकार आपातकालीन उपायों के तहत मरीज के संपर्कों की तलाश, सचेत करने तथा पृथकवास में तेजी दिखा रही है। किशोर के संपर्क में आने वाले लोगों की पहचान की गई है, उनके घरों के आसपास सतर्कता बढ़ायी गई है। चिंता की बात यह है कि निपाह वायरस से संक्रमितों में मृत्युदर सत्तर फीसदी है और इसकी कोई वैक्सीन उपलब्ध नहीं है। ऐसे में बेहद सतर्कता के साथ इसके प्रसार को शुरुआती दौर पर ही रोका जाना चाहिए, ताकि यह फिर महामारी का रूप ग्रहण न कर सके।

बीते वर्षों में केरल सरकार इस वायरस को स्थानीय स्तर पर ही रोक पाने में सफल हुई थी। ऐसे में समय रहते इसके संक्रमण को रोकने के लिये सतर्कता ही कारगर उपचार है। वर्ष 2019 में राज्य ने समय रहते इस वायरस पर काबू पाया था। दरअसल, पहले रोगी के लक्षणों का निदान जरूरी होता है और फिर संक्रमण नियंत्रण के प्रोटोकॉल को लागू करना।

निस्संदेह, पिछले अनुभव का लाभ केरल सरकार के लिये मददगार साबित होगा। वर्ष 2018 में राज्य में सामने आये निपाह वायरस के 18 मामलों में सत्रह लोगों की जान चली गई थी, जिसके बाद राज्य सरकार ने भविष्य की चुनौतियों के लिये बीते अनुभव के आधार पर रणनीति तैयार की। वैसे तो कोविड-19 की चुनौती से जूझ रहे केरल में मास्क पहनने, सुरक्षित शारीरिक दूरी का पालन करने के साथ ही संक्रामक महामारी के निवारक उपायों के प्रति व्यापक जागरूकता आई है।

केरल से लगे राज्यों की सीमाओं को सील करने की जरूरत है, इस दिशा में तमिलनाडु में खासी सतर्कता बरती जा रही है। निस्संदेह अन्य राज्यों को भी सतर्क रहने की जरूरत है। साथ ही जिन दो लोगों में निपाह वायरस के संक्रमण की पुष्टि हुई है, उनकी व्यापक देख-रेख की जरूरत है। वैसे नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल की टीम राज्य सरकार के स्वास्थ्य विभाग को तकनीकी सहयोग उपलब्ध करा रही है, फिर भी सतर्क रहने की जरूरत है।

वहीं राज्य सरकार भी संक्रमण से मरे किशोर के संपर्क में आये लोगों पर व्यापक निगरानी रखे हुए है। जिन दो लोगों में संक्रमण के लक्षण दिखे हैं, वे किशोर के संपर्क में आये उन बीस लोगों में शामिल थे, जो जोखिम वाली स्थिति में माने जा रहे थे। दरअसल, मलेशिया में 1998 में निपाह नामक जगह में मिलने वाले वायरस को विश्व स्वास्थ्य संगठन तेजी से उभरते वायरस के रूप में देखता है। जिसके वाहक के रूप में चमगादड़ व सुअरों को माना जाता रहा है। बाद में इसके इंसान से इंसान में फैलने का मामला प्रकाश में आया। जिसमें लोग तेज बुखार के बाद सांस से जुड़ी गंभीर बीमारी तथा जानलेवा इंसेफ्लाइटिस के शिकार बने। जिसमें दिमाग को नुकसान होने की आशंका बनी रहती है।

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