पानी न खाद, हजारों पौधे हो रहे बर्बाद

उरई/जलौन,संवाददाता। अभी एक सप्ताह पहले जनप्रतिनिधि, अधिकारी, शिक्षक आदि ने हाथों में पौधे लेकर उन्हें रोपते हुए तस्वीरें खिंचाने में पर्यावरण प्रेम दिखाया। पर हकीकत यह है कि पौधरोपण का दिन समाप्त होने के बाद रोपे गए पौधों की सुध लेने वाला कोई नहीं दिखाई दे रहा है। यही कारण है कि न तो पौधों को पानी मिल रहा और न खाद।

इस कारण वे सूख रहे हैं या फिर उखड़ चुके हैं। ट्री गार्ड न होने से मवेशी भी इन पौधों को तहस नहस करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। हैरत की बात तो यह है कि हर साल की तरह इस बार भी शासन की ओर से बढ़चढ़कर पौधरोपण पर खर्च किया गया था।

वहीं वन विभाग के अधिकारी भी पौधों की बर्बादी पर मौन हैं। कोई कुछ भी नहीं बोलना चाहता है। आटा। ब्लाक क्षेत्र में किए गए पौधरोपण में ट्री गार्ड तो ढूंढे नहीं मिल रहे हैं। कई जगह मवेशी पौधे चर गए हैं। वहीं पानी व खाद का भी कोई इंतजाम न होने से कई स्थानों पर पौधे मुरझा गए। ऐसा हाल हरचन्द्रपुर, गौहना, जकसिया, रैला व इकौना में दिखाई दे रहा है।

यहां पौधारोपण के नाम पर फिलहाल डंठल ही दिख रहे हैं। जकसिया के परिषदीय विद्यालय के बाहर बड़ी संख्या में पौधे रखे हुए थे। जिन्हें शायद लगाया ही नहीं गया और वे खराब हो गए। चमारी गांव में भी रोपे गए पौधों में सिर्फ डंठल शेष हैं। यही हाल आटा क्षेत्र का भी है।

यहां पर भी हरियाली तो हुई नहीं लेकिन पौधरोपण के नाम खानापूर्ति हो गई है। पौधों को पानी ही नहीं दिया गया और वे दो ही दिन में मुरझा कर सूखने लगे। स्थिति यह है कि तालाब किनारे लगाए गए पौधों तक को पानी देने वाला कोई नहीं है।

चमारी प्रधान ब्रजेश का कहना है कि गर्मी पड़ रही है इसलिए पौधे सूख रहे है। जल्द ही टैंकर से पौधों सिंचाई की व्यवस्था की जाएगी। बता दें कि अकेले चमारी में भी 3500 पौधे रोपे जाने हैं।

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