पुराने आवास बने नहीं, नए का लक्ष्य मिला

बांदा। बेघरों को घर मुहैया कराने की महत्वाकांक्षी प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री आवास योजना चित्रकूटधाम मंडल में आंकड़ों के जाल में उलझी है। ताजा उदाहरण बांदा जिले का है कि पिछले वित्तीय वर्ष के 15 हजार से ज्यादा आवास अभी अधूरे पड़े हैं और मौजूदा नए वित्तीय वर्ष के लिए शासन 12 हजार से ज्यादा आवासों का नया लक्ष्य तय कर दिया है।

मंडल के चारों जिलों बांदा, महोबा, हमीरपुर और चित्रकूट समेत बुंदेलखंड के जालौन में भी यही स्थित है। आवास योजना में आंकड़ों की बाजीगरी की बानगी चित्रकूटधाम मंडल मुख्यालय बांदा में कुछ यूं है कि पिछले वित्तीय वर्ष 2020-21 में 15,444 प्रधानमंत्री और 36 मुख्यमंत्री योजना के आवास अधूूरे पड़े हुए हैं। किसी में छत नहीं पड़ी तो कहीं पर दीवारें अधूूरी हैं।

लाभार्थी झुग्गी झोपड़ियों में बसर कर रहे हैं। इन्हें पूरा कराए बगैर शासन ने चालू वित्तीय वर्ष 2021-22 के लिए 15,583 प्रधानमंत्री आवास और 133 मुख्यमंत्री आवास योजना के आवासों का लक्ष्य जारी कर दिया है। वर्ष 2020-21 में जनपद को 16544 पीएम आवासों का लक्ष्य मिला था। इनमें सिर्फ 2078 लाभार्थियों को तीनों किस्तें मिल पाईं हैं।

इनमें 1100 लाभार्थियों के आवास पूरे हो सके हैं। मुख्यमंत्री आवास योजना में पिछले वर्ष 45 आवासों का लक्ष्य था, जिसमें सिर्फ 29 लाभार्थियों को तीनों किस्तें हासिल हुईं हैं। नौ लाभार्थियों के ही आवास पूरे हो सके हैं।

प्रत्येक गरीब को पक्की छत देने के उद्देश्य से शुरू की गई महात्वाकांक्षी प्रधानमंत्री आवास व मुख्यमंत्री आवास योजना फिसड्डी साबित हो रही है। गांवों में गरीब आज भी पन्नी और बॉस की झोपड़ियों में गुजर बसर कर रहा हैं।

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