चमक उठती है राधा श्रीकृष्ण भगवान की मूर्तियां

मराठाकालीन मंदिर में श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव को लेकर तैयारियां शुरू   हमीरपुर (आरएनएस)। मराठाकालीन मंदिर में श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव की तैयारियां शुरू कर दी गई है। यह मंदिर सैकड़ों साल पुराना है। जिसे बालाजी बाजीराव ने बनवाया था।

मंदिर की विशेषता है कि यहां विराजमान राधा श्रीकृष्ण व हनुमान की मूर्तियां सूरज की पहली किरण पड़ते ही चमक उठती है। शहर के हाथी दरवाजा मोहल्ला में यमुना नदी के तट पर राधा कृष्ण का मंदिर स्थित है।

यह मंदिर मराठाकाल में बना था। मंदिर में विराजमान राधा कृष्ण की अष्टधातु की मूर्तियों की अपनी खास विशेषता है। श्रीकृष्ण की मनोरम मूर्तियों का रंग सुबह और शाम बदलता है।

आसपास के इलाकों के अलावा नजदीक के ग्रामों से भी लोग इस मंदिर में आकर माथा टेकते है। यहां के रिटायर्ड शिक्षक व कवि लखनलाल जोशी ने बताया कि मराठाकालीन के इस मंदिर अद्भुत नक्काशी के लिए प्रसिद्ध है।

राधा कृष्ण मंदिर भी बड़ा ही अद्भुत है। जहां सूरज की पहली किरण से भगवान की मूर्तियां चमक उठती है। बताया कि मराठाकालीन में सर्वाधिक मंदिर बनाए गए थे। बयोवृद्ध एवं पूर्व प्रधान बाबूराम प्रकाश त्रिपाठी ने बताया कि मंदिर सैकड़ों साल पुराना है।

इसमें मठ कारीगरी के अद्भुत नमूने आज भी बेजोड़ और मजबूत है। अंग्रेज अधिकारी अपने परिवार के साथ मंदिर आकर पूजा अर्चना करते थे। अंग्रेज अफसरों के समय मंदिर में कई निर्माण कार्य भी हुए थे। इधर श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव को लेकर मंदिर में तैयारियां शुरू हो गई है।

मंदिर के पुजारी हरिनारायण महाराज ने बताया कि पूरे मंदिर की।रंगाई कराई जा रही है। जन्माष्टमी की रात कोरोना गाइड लाइन का पालन कराते हुए धूमधाम से कार्यक्रम संपन्न कराए जाएंगे।

श्रीकृष्ण के लिए 56 प्रकार का भोग तैयार होगा। कहा कि यहां मंदिर में विशेष प्रकार से जन्माष्टमी पर्व मनाए जाने की परंपरा है। संवत 1723 में बाजीराव पेशवा ने पूजा के लिए बनवाया था मंदिर।


मंदिर के पुजारी हरि नारायण द्विवेदी ने बताया कि संवत 1723 में यहां के शासक बालाजी बाजीराव पेशवा थे। उन्होंने यमुना और बेतवा नदियों के बीच बसे इस सुंदर नगर में पूजा अर्चना के लिए मंदिर बनवाने का फैसला किया था।

पुजारी ने बताया अपने पूर्वजों से जानकारी मिली थी कि यमुना तट के करीब बाजीराव पेशवा ने मंदिर का निर्माण कराया था। मंदिर में श्रीराम भक्त हनुमान की प्रतिमा ठीक पूरब दिशा में विराजमान हैै। वहीं उत्तर दिशा में राधा कृष्ण की मूर्तियां विराजमान है।

हनुमान की मूर्ति के सामने शिव लिंग व पार्वती की मूर्ति बिना गुंबद वाले मठ के अंदर स्थापित है। मंदिर का मठ भी पूरी तरह से अंडाकार है जिसे कहीं से भी देखा जाए एक जैसा नजर आता है।

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