सुरक्षा चुनौती
जम्मू एयरफोर्स स्टेशन के टेक्निकल एरिया में ड्रोन के जरिये हुए दो धमाकों ने सेना व सुरक्षा बलों की चिंता बढ़ा दी है। भारतीय सैन्य प्रतिष्ठान पर अपनी किस्म का यह पहला ड्रोन हमला है, जिसमें ड्रोन को आईईडी बम के रूप में इस्तेमाल किया गया है।
हालांकि, धमाके कम तीव्रता के थे और एक इमारत की छत को ही नुकसान पहुंचा है। दूसरा धमाका खुली जगह में हुआ। दो कर्मचारियों को मामूली चोटें भी आई हैं। हमला देर रात दो बजे के करीब हुआ बताया जा रहा है। हालांकि, जम्मू-कश्मीर के डीजीपी इसे आतंकी हमला बता रहे हैं, लेकिन हवाई अड्डे के पाक सीमा के करीब होने के कारण बड़ी साजिश से इनकार नहीं किया जा रहा है।
इस हमले में नीचे उड़ने वाले उन ड्रोन का इस्तेमाल किया गया जो राडार की पकड़ में नहीं आते। जाहिरा बात है कि इनका संचालन सीमा पार से किया जा रहा होगा। आशंका है कि जीपीएस के माध्यम से इन ड्रोन का संचालन किया गया होगा। दरअसल, सेना की दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण जम्मू एयरपोर्ट की हवाई पट्टी और एयर ट्रैफिक कंट्रोल भारतीय वायु सेना के नियंत्रण में है, जो सामरिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण है।
देश की तमाम बड़ी सुरक्षा व जांच एजेंसियां धमाकों की जांच में जुट गई हैं, जिनमें एनआईए भी शामिल है। घटना के बाद जम्मू-कश्मीर की सीमा पर सुरक्षा बलों को अलर्ट कर दिया गया है और पड़ोसी राज्यों में सुरक्षा बढ़ा दी गई है।
निस्संदेह, अपने किस्म के पहले आतंकी हमले ने सेना व वायुसेना की चिंता बढ़ा दी है। यह हमला हवाई अड्डे के टेक्निकल एरिया में हुआ है जो इस मायने में महत्वपूर्ण होता है कि वहां सभी एयरक्राफ्ट, हेलिकॉप्टर व पुर्जे व हार्डवेयर रखे होते हैं। जम्मू हवाई अड्डा एक घरेलू हवाई अड्डा है जो भारत और पाकिस्तान के बीच अंतर्राष्ट्रीय सीमा से करीब 14 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
वायुसेना की महत्वपूर्ण रणनीतिक संपत्तियों में शामिल इस हवाई अड्डे से रसद सामग्री आपूर्ति संचालन, आपदा में मदद व घायलों को राहत का कार्य किया जाता है जो सर्दियों में सैन्य गतिविधियों के संचालन का केंद्र होता है। सियाचिन ग्लेशियर के लिये रसद व मदद का काम यहीं से संचालित होता है।
कारगिल युद्ध में भी इसकी निर्णायक भूमिका रही है। हमले में पाक की धरती से हमलावरों को मदद मिलने से इनकार नहीं किया जा सकता। आशंका है कि दोनों ड्रोन सीमापार से संचालित किये जा रहे थे। यही वजह है कि विस्फोट से आतंकी नेटवर्क की संलिप्तता की विभिन्न कोणों से जांच की जा रही है, जिसमें वायुसेना, सेना व पुलिस के बड़े अधिकारी भी शामिल हैं।
इस बाबत कुछ संदिग्धों को भी गिरफ्तार किया गया है। वहीं जम्मू-कश्मीर पुलिस ने एक बड़ी कामयाबी हासिल करते हुए लश्कर-ए-तैयबा के एक आतंकी को गिरफ्तार किया है। उसके पास से पांच किलो आईईडी बरामद की है, जिसके जरिये वह किसी भीड़भाड़ वाले इलाके में बड़ा धमाका करने की फिराक में था।