उत्तराखंड : नीति घाटी से टूटा संपर्क, अभी और 24 घंटे भारी के आसार

दिल्लीः नीति घाटी से टूटा संपर्क।

उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में माॅनसून के आगाज के साथ ही जमकर बदरा बरसने लगते थे, लेकिन इस बार हालात कुछ अलग से नज़र आ रहे हैं. खासकर जुलाई में अगर बीते पांच सालों के आंकड़े देखें तो अब तक सबसे कम बारिश हुई है. यह बात अलग है कि कुछ इलाकों में इन्द्रदेव जमकर बरसे हैं. इधर, नैनीताल और चमोली ज़िले में बारिश के कारण आम जनजीवन अस्त व्यस्त बना हुआ है. मैदानी इलाकों में सड़कें तालाब की तरह भर गई हैं, तो बद्रीनाथ हाईवे समेत नीति घाटी को जोड़ने वाला जोशीमठ-मलारी हाईवे भी बाधित रहा.

उत्तराखंड के पहाड़ों में आमतौर पर जुलाई में सबसे अधिक बारिश होती है. इसी महीने आसमानी आफत का भी तांडव दिखाई देता है, लेकिन इस बार मौसम का मिजाज पूरी तरह बदला है. विवेकानंद पर्वतीय कृषि अनुसंधान शाला के मुताबिक इस बार बीते महीने सिर्फ 124 एमएम बारिश दर्ज की गई जबकि पिछली जुलाई में 209 एमएम बारिश हुई थी. शाला के सीनियर साइंटिस्ट डाॅ. जेके बिष्ट ने बताया कि 2018 में 168ए 2019 में 169ए 2020 में 143ए 2021 में 209 एमएम बारिश हुई थी.

पहाड़ों में टोटल बारिश भले ही इस बार कम हुई होए लेकिन कई इलाकों में आसमानी आफत जमकर बरसी है. यही वजह है कि बादल फटने और लैंडस्लाइड जैसी घटनाएं भी सामने आईं हैं. शाला के निदेशक डाॅ. लक्ष्मीकांत का कहना है कि बीते कुछ सालों में मौसम चक्र में काफी बदलाव दिख रहा है. अभी तक जो बारिश हुई हैए उससे खेती और बागवानी को नुकसान नहीं पहुंचा, लेकिन अगर मौसम का मिजाज यूं ही रहा तो दिक्कतें बढ़ सकती हैं.

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