धूमधाम से मनी बाल गंगाधर तिलक की जयंती

हमीरपुर। वर्णिता संस्था के तत्वावधान में विमर्श विमर्श विविधा के अंतर्गत जिनका देश ऋणी है के तहत भारतीय स्वराज मंत्र के उद्गाता बाल गंगाधर तिलक की जयंती पर संस्था के अध्यक्ष डा. भवानीदीन ने कहा कि तिलक जी सही अर्थों में देश के एक सच्चे देश परायण राष्ट्रनेता थे, इनके योगदान को भुलाया नहीं जा सकता है, इनका जन्म महाराष्ट्र के रत्नागिरी जिले के चिखली गांव में हुआ था।

इनके पिता का नाम बाल रामचंद्र गंगाधर तिलक था, तिलक के पिता बहुत विद्वान शिक्षक थे, बाल गंगाधर जीवन के ऊषाकाल से ही देशसेवी सोच के व्यक्ति थे। इन्होंने सामाजिक सुधार, राजनीति, आर्थिक और आजादी के संघर्षी क्षेत्र मे बहुत काम किया, तिलक को जनता ने लोकमान्य की जनपदवी से विभूषित किया था।

तिलक ने उस समय मराठा और केसरी नामक दो पत्र निकाले थे, जिसमें सरकार की खामियां उजागर करते थे, साथ ही गणेश और शिवाजी उत्सव प्रारंभ कर युवाओं को देशभक्त बनाया था, ये उग्रवादी आन्दोलन के अग्रेता थे, इन्होंने ही उस काल मे देशवासियों को स्वराज हमारा जन्म सिद्ध अधिकार है, हम इसे लेकर ही रहेंगे, जैसा मंत्रवाक्य दिया था, इन्हें उग्रवादी होने के कारण भारतीय अशांति का जनक भी कहा गया।

सरकार की कटु आलोचना के इन्हें कठोर कारावास की सजा भी मिली, जेल जीवन मे कई कृतियां लिखी, कालांतर मंे एक अगस्त 1920 को तिलक जी का निधन हो गया। कार्यक्रम मे अवधेश कुमार गुप्ता एडवोकेट, अशोक अवस्थी, रमेशचंद्र गुप्ता, चित्राशु खरे, लखन, रमेश कुशवाहा आदि शामिल रहे।

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