मुंबई में आरे कॉलोनी को इस शहर का फेफड़ा कहा जाता है, क्या है आरे कॉलोनी ?

दिल्लीः

महाराष्ट्र में आरे कॉलोनी के जंगल को बचाने के लिए पर्यावरण प्रेमी और कार्यकर्ता विरोध प्रदर्शन तेज करने की तैयारी में हैं. दरअसल एकनाथ शिंदे की नई महाराष्ट्र सरकार ने आरे कॉलोनी को लेकर पुरानी सरकार के फैसले पलट दिया है. अब ये सरकार वहां फिर हजारों पेड़ कटवाकर मेट्रो कारशेड बनाने जा रही है. उद्धव सरकार ने विरोध के बाद फडणवीस सरकार के इस काम को रोक दिया था. इस कदम का बहुत स्वागत किया गया था.

नई सरकार के फैसले से पर्यावरण प्रेमियों और कार्यकर्ताओं में गुस्सा है. 1,800 एकड़ में फैले इस आरे फॉरेस्ट को अक्सर ‘मुंबई का फेफड़ा’ कहा जाता है. आरे जंगल में तेंदुओं के अलावा जीव-जंतुओं की करीब 300 प्रजातियां पायी जाती हैं. यह उपनगर गोरेगांव में स्थित है.

मुंबई जब फडणवीस सरकार थी, तब उसने इस इलाके में मेट्रो कारशेड बनाने के लिए 2500 पेड़ काट जाने थे. विवाद बढ़ा तो मामला कोर्ट में पहुंचा. हालांकि मुंबई हाईकोर्ट ने पेड़ काटे जाने को लेकर आदेश जारी कर दिए थे. लेकिन इसके बाद जब उद्धव ठाकरे सरकार सत्ता में आई तो उसने इस प्रोजेक्ट को रोक दिया. इसे लेकर उसकी काफी तारीफ भी हुई.

अब हम समझते हैं कि आरे कॉलोनी क्या है. ये क्यों मुंबई के लिए महत्वपूर्ण है. कैसे इस पूरे इलाके को हरा-भरा किया गया. आरे कॉलोनी की ग्रीनरी ही इसकी पहचान है.

क्यों मेट्रो प्रोजेक्ट के लिए चिन्हित की गई ये जगह

2014 में शुरू हुए मेट्रो प्रोजेक्ट का पहला फेज वर्सोवा से लेकर घाटकोपर तक पूरा हो चुका है. इसके विस्तार के बाद मेट्रो को पार्किंग शेड की जरूरत पड़ी. पूरी मुंबई खंगालने के बाद मेट्रो परियोजना से जुड़ी कंपनी को आरे कॉलोनी शेड निर्माण के लिए सही जगह लगी. बीएमसी ने भी पेड़ों को काटे जाने की मंजूरी दे दी. मेट्रो रेल कॉरपोरेशन के प्रस्ताव के मुताबिक कुल 2702 पेड़ों में से 2,238 पेड़ों को काटा जाना था. बाकी को यहां से ट्रांसफर किया जाना था.

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