महंगाई का दबाव

आज खुदरा महंगाई का आंकड़ा आने वाला है। यह बताएगा कि मई के महीने में महंगाई बढ़ने की रफ्तार क्या रही? जानकारों को उम्मीद है कि इसमें कुछ नरमी दिख सकती है।

लेकिन उन्हीं जानकारों का यह भी कहना है कि नरमी का कारण सिर्फ ‘बेस इफेक्ट’ होगा, यानी पहले से चढ़े दामों के बढ़ने की रफ्तार कुछ कम होती दिख सकती है। इसका मतलब यह कतई नहीं है कि महंगाई से राहत मिलने की कोई उम्मीद है। 


यह महंगाई अचानक नहीं बढ़ी। यह बढ़ती हुई दिख भी रही थी और इस बात के आसार भी साफ थे कि यह और बढ़ने वाली है। फिर भी, सरकार और रिजर्व बैंक, दोनों ने समय रहते इसे रोकने की पुरजोर कोशिश क्यों नहीं की? रिजर्व बैंक ने पिछले महीने जब अचानक ब्याज दरें बढ़ाने का एलान किया, तभी यह बात साफ हो गई थी कि यह घबराहट में उठाया गया कदम है।

यानी, बैंक को लग रहा है कि महंगाई उसके काबू से बाहर जा चुकी है। इसीलिए उसने मौद्रिक नीति की तयशुदा बैठक तक का इंतजार नहीं किया। और बाद में, जब बैठक का वक्त आया, तब भी बाजार की उम्मीदों से बढ़कर सीधे आधा फीसदी की बढ़त का एलान कर दिया।

कुल मिलाकर, पिछले पांच हफ्तों में ब्याज पर पैसा लेना 0.9 प्रतिशत महंगा हो चुका है। रिजर्व बैंक से इस बात के भी साफ संकेत हैं कि ये दरें अभी और बढ़ने वाली हैं।कारण साफ है। पेट्रोल-डीजल से लेकर खाने के तेल और आटे-दाल तक का भाव हर परिवार को चुभ रहा था।

रिजर्व बैंक के ही आंकड़े बताते हैं कि अक्तूबर, 2019 के बाद से महंगाई बढ़ने की दर रिजर्व बैंक के चार फीसदी के लक्ष्य से ऊपर रही है। पिछले 30 महीनों में सिर्फ तीन महीने ऐसे रहे, जब यह आंकड़ा चार प्रतिशत के आसपास रहा।

लेकिन शायद रिजर्व बैंक इस दबाव में भी रहा कि महंगाई के चक्कर में कहीं विकास की गाड़ी बेपटरी न हो जाए। इसी चक्कर में अप्रैल, 2019 के बाद उसने कम से कम तीन बार दरें घटाने का फैसला किया। 


ब्याज दरें बढ़ाने का असर साफ दिखा। रिजर्व बैंक ने दरें बढ़ाईं और अगले ही दिन तमाम बैंकों के एलान आ गए। इन बैंकों ने अपना ईबीएलआर या एक्सटर्नल बेंचमार्क लेंडिंग रेट बढ़ाने का एलान किया।

आईसीआईसीआई बैंक ने यह रेट 8.1 से बढ़ाकर 8.6 प्रतिशत कर दिया, जबकि बैंक ऑफ बड़ौदा और पीएनबी ने बढ़ाकर 7.4 प्रतिशत, बैंक ऑफ इंडिया और सेंट्रल बैंक ने 7.75 प्रतिशत कर दिया। निजी क्षेत्र के छोटे बैंक एयू स्मॉल फाइनेंस ने यह दर अब 10 फीसदी कर दिया है।

इसका असर यह होगा कि ज्यादातर फ्लोटिंग रेट वाले कर्जों की ईएमआई बढ़ जाएगी या फिर उन्हें चुकाने की अवधि बढ़ेगी। लेकिन कर्ज जैसी फुर्ती जमा खाते के मामले में कम दिख रही है।

कोटक महिंद्रा बैंक ने जरूर अपने बचत खातों पर और एफडी पर ब्याज दरें आधा फीसदी बढ़ाने का एलान किया है, लेकिन इसका फायदा उन बचत खातों को होगा, जिनमें 50 लाख रुपये से ज्यादा की रकम रखी होगी।

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