गलियां छोड़ साहबों के बंगले चमका रहे सफाई कर्मी
बांदा,संवाददाता। गांवों में नियुक्त किए गए 50 से अधिक सफाई कर्मचारी सरकारी कार्यालयों व अफसरों के बंगलों को चमका रहे हैं। गांव की गलियां गंदगी से पटी पड़ी हैं। गांव की सफाई के नाम पर पंचायती राज विभाग इन सफाई कर्मियों को करीब 17 लाख रुपये प्रतिमाह पगार दे रहा है।
कई गांवों में मात्र एक-एक सफाई कर्मी है। जनपद में 469 ग्राम पंचायतों में बड़े-छोटे 1100 गांव व पुरवा हैं। जिनके सफाई की जिम्मेदारी महज 761 सफाई कर्मियों पर है। इसमें भी 50 से अधिक सफाई कर्मी सरकारी कार्यालयों व अफसरों के बंगलों में संबद्ध है। जिलाधिकारी ने पिछले वर्ष दिसंबर माह में इन सभी सफाई कर्मियों की संबद्धता खत्म करने का आदेश दिया था।
यह आदेश फाइल तक ही सीमित रहा। तमाम सफाई कर्मी मंडल और जिलास्तर के बड़े अफसरों के यहां काम कर रहे हैं। कलक्ट्रेट, एडीएम कार्यालय, विकास भवन, उप निदेशक पंचायत, उपायुक्त मनरेगा आदि कार्यालयों में सफाई कर्मियों से लिखा-पढ़ी का काम लिया जा रहा है।
इनके अलावा कई सफाई कर्मी अफसरों के घर का बेगार संभाले हैं। खाना बनाने से लेकर उनके मवेशियों को चारा-भूसा और पेड़-पौधों की गुड़ाई-निराई कर रहे हैं।
सीडीओ व एडीएम कार्यालय व आवास में 5-5, कलक्ट्रेट व जिला विकास अधिकारी के यहां 3-3, उपायुक्त मनरेगा, उप निदेशक (पंचायत) व डीपीआरओ कार्यालय में 2-2, अपर आयुक्त कार्यालय, परियोजना निदेशक (जिला ग्राम विकास अभिकरण) व उपायुक्त एनआरएलएम में 1-1 आदि कार्यालय व अधिकारियों के आवासों में सफाई कर्मी लगे हुए हैं।
कई महिला सफाई कर्मियों के पति झाडू लगा रहे हैं। वह खुद घर का चूल्हा-चैका संभाले हैं। महुआ ब्लॉक के एक ग्राम पंचायत में तैनात व जिले के एक बड़े अफसर के कार्यालय में संबद्ध महिला सफाई कर्मी के स्थान पर उसका पति 8 साल से काम कर रहा है। यहीं पर महिला सफाई कर्मी का बेटा भी संबद्ध है। बताते हैं कि पति महिला सफाई कर्मी के हस्ताक्षर भी बना रहा है।
उधर, कई सफाई कर्मी प्रधान व सचिव से साठगांठ करके अपने स्थान पर 4 से 5 हजार रुपये दिहाड़ी में दूसरे लोगों को लगाए हुए हैं। डीपीआरओ और एडीपीआरओ के निरीक्षण में यह पोल खुल चुकी है। कार्रवाई भी हुई थी, लेकिन अभी भी यह रोग बरकरार है।