एक्सडीआर टीबी को दे दी मात, फिर शुरू की नौकरी

पांच सालों से टीबी से जूझ रहा था सुमेरपुर का युवक

ढाई साल पूर्व एक्सडीआर टीबी की हुई थी पुष्टि

इलाज में ढिलाई की वजह से बिगड़ गया मर्ज

हमीरपुर। क्षय रोग (टीबी) अब लाइलाज बीमारी नहीं है। इसका सबूत है। जनपदवासी 25 वर्षीय नौजवान और 12 वर्ष के किशोर की सेहत। इन दोनों को क्रमशरू एक्सटेनसिवली ड्रग रेजिस्टेंस (एक्सडीआर) और मल्टी ड्रग रेजिसटेन्स (एमडीआर) संक्रमण था।

नियमित इलाज और पौष्टिक खानपान से अब दोनों ही पूरी तरह स्वस्थ हैं। हालांकि ये मामले बानगी भर हैं। जनपद में ऐसे कई मामले हैं जो क्षय रोग के भीषण संक्रमण से शिकार होने के बावजूद आज पूरी तरह स्वस्थ हैं।

पांच वर्षों से टीबी से जूझ रहा 25 वर्षीय युवक मूलरूप से सुमेरपुर का निवासी है और एक फैक्ट्री में जांब करते समय टीबी की चपेट में आया था। युवक ने नाम न बताने की शर्त पर बताया कि उसको 20 वर्ष की उम्र में टीबी हुई थी।

लखनऊ में कुछ समय तक उपचार चला। आराम नहीं मिला तो मप्र के नौगांव छानी चला गया। वहां की भी दवाएं खाई, लेकिन कोई खास आराम नहीं मिला तो दवाएं छोड़ दी।

सरकारी अस्पताल में जांच कराई तो पता चला कि टीबी बिगड़कर एमडीआर हो गई है। इसकी दवाएं भी अस्पताल से मिली, मगर एक बार फिर वो नादानी कर बैठा और इलाज अधूरा छोड़ दिया। जिसकी वजह से एमडीआर टीबी बिगड़कर एक्सडीआर में तब्दील हो गई।

युवक बताता है कि ठीक ढाई साल पहले उसे पता चला कि उसकी टीबी पहले से ज्यादा खतरनाक हो गई है और उपचार लगकर नहीं कराया तो जान भी जा सकती है, इसके बाद उसने दृढ़ संकल्प लिया और लगकर टीबी अस्पताल से मिलने वाली दवाएं और डाक्टरों के परामर्श पर अमल किया।

आज वो एक्सडीआर टीबी को पूरी तरह से मात दे चुका है। स्वस्थ है और अपनी डियूटी भी कर रहा है। युवक ने टीबी से जूझने वाले मरीजों को संदेश देते हुए कहा कि टीबी की पुष्टि होते ही डाक्टर के परामर्श पर दवा लेना शुरू कर दें। एक भी दिन का नागा न करें, तभी टीबी को हराया जा सकता है।

इसी तरह हमीरपुर के एक मोहल्ले की 12 साल की किशोरी भी टीबी के शुरुआती इलाज में ढिलाई बरतने की वजह से एमडीआर की शिकार हो गई थी। लेकिन लगातार उपचार कराने और डांट्स की दवाएं खाने से ठीक हो चुकी है।

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