मेडिकल कालेज में मरीजों की सेहत पर गंदगी भारी
बांदा,संवाददाता। राजकीय मेडिकल कालेज में मरीजों की सेहत पर गंदगी भारी पड़ रही है। सफाई व्यवस्था दुरुस्त न होने से जगह-जगह गंदगी फैली रहती है।
वार्डों के फर्श पर कचरा, गुटके की पीक और सीलिंग व पलंगों में मकड़ी के जाले लगे हैं। इससे संक्रमण फैलने का खतरा बना रहता है।
वहीं, प्रधानाचार्य का कहना है कि सफाई कर्मी की संख्या कम होने से मेडिकल कालेज परिसर की बेहतर सफाई नहीं हो पा रही। राजकीय मेडिकल कालेज की ओपीडी में इन दिनों रोजाना एक हजार से ज्यादा मरीज आ रहे हैं।
लगभग एक सैकड़ा मरीज भर्ती हैं। वार्डों व आसपास फैली गंदगी और बाथरूम से उठ रही दुर्गंध से मरीज परेशान हैं। भर्ती मरीजों के तीमारदारों का कहना है कि सभी वार्डों के शौचालय गंदे पड़े हैं।
पुरुष शौचालय में ही महिलाओं को भी जाना पड़ रहा है। गंदगी और अव्यवस्था के चलते खुले में शौच के लिए जाना पड़ रहा है। परिसर में रात को कुत्तों को जमावड़ा रहता है।
उनके भौंकने से मरीजों की नींद में खलल पड़ती है। तीमारदारों का आरोप है कि शिकायत करने पर कोई सुनवाई नहीं होती है। उधर, मेडिकल कालेज प्रधानाचार्य डॉ. मुकेश कुमार यादव ने स्वीकार किया कि कालेज परिसर में गंदगी है।
उन्होंने बताया कि मौजूदा समय में सिर्फ 60 स्वीपर कार्यरत हैं। तीन शिफ्ट में काम लिया जा रहा है। पर्याप्त संख्या न होने पर परिसर व वार्डों की सफाई प्रभावित हो रही है।
उन्होंने 100 और सफाई कर्मियों को नियुक्त करने की मांग की है। उन्होंने कहा कि उनसे किसी मरीज या तीमारदार ने गंदगी की शिकायत नहीं की।
फिर भी वह सफाई कर्मियों को सभी वार्ड और बाथरूम अच्छे ढंग से साफ कराने के निर्देश देंगे। इसके बाद भी गंदगी पाई गई तो कार्रवाई की जाएगी।
कमासिन की तीमारदार प्रभावती ने बताया कि उसका पुत्र बउवा चार दिनों से भर्ती है। बाथरूम गंदगी से पटा है। महिला-पुरुष के लिए एक ही शौचालय है।
ऐसे में मजबूरी में बाहर शौच को जाना पड़ता है। चरका निवासी तीमारदार सत्यदेव ने बताया कि मरीज सुनीता भर्ती है।
वार्ड में सफाई का हाल बेहाल है। शौचालय गंदगी से बजबजा रहे हैं। नाक-मुंह बंद करने के बाद भी शौचालय जाने की हिम्मत नहीं होती।