जलवायु खतरों को न्यूनतम करने के लिए देश को तत्काल कदम उठाने की जरूरत

इंटर गर्वमेंटल पैनल आन क्लाईमेट चेंज (आईपीसीसी) से जुड़े वैज्ञानिक एवं इंडियन स्कूल आफ बिजनेस के अनुसंधान निदेशक डा. अंजल प्रकाश ने कहा कि भारत को जलवायु खतरों से निपटने, उनके अनुकूल ढलने तथा उनके प्रभावों को न्यूनतम करने के लिए तत्काल कदम उठाने होंगे।

हाल में आईपीसीसी की रिपोर्ट में तापमान बढ़ोत्तरी को लेकर विश्व के साथ-साथ भारत के संदर्भ में भी गंभीर खतरों की ओर आगाह किया गया है।


रिपोर्ट जारी होने के बाद एक बयान में डा. प्रकाश ने कहा कि जलवायु खतरों के प्रभाव को न्यूनतम करने के लिए भारत को अनुकूलन और न्यूनीकरण के प्रयासों पर एक साथ ध्यान देने की जरूरत है।

इस वक्त जलवायु संबंधी जोखिमों से बचने के लिए भारत मौसम संबंधी पूर्वानुमान पर निर्भर करता है और प्रभावित क्षेत्रों से ज्यादा से ज्यादा लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने की प्रणाली को अपनाता है।

राहत और बचाव कार्य तो मौसम संबंधी आपदाओं के होने के बाद का मामला है लेकिन लोगों को हालात के मुताबिक ढालने के लिए अभी बहुत सा काम किया जाना बाकी है।

उन्होंने कहा कि प्रभावी कदम उठाने के लिए अन्य क्षेत्रों के साथ तालमेल बैठाना जरूरी है। इनमें मूलभूत ढांचा, ऊर्जा, सिंचाई, जल संसाधन ग्रामीण विकास, नगर विकास और महिला एवं बाल विकास इत्यादि क्षेत्र शामिल हैं।

भारत जैसे देश के आकार और उसकी आबादी को देखते हुए यह काम बहुत जटिल है दीर्घकालिक समाधानों की बात करें तो इसमें शहरों की योजना का फिर से खाका खींच कर या उसे फिर से बना कर उन्हें जलवायु के प्रति सतत बनाया जा सकता है।

नगरीय तथा ग्रामीण इलाकों में झीलों और तालाबों का पुनरुद्धार करके प्राकृतिक जल निकासी प्रणालियों को मजबूत बनाने की दिशा में काम करने, नगरीय क्षेत्रों में जलभराव रोकने के लिए निकासी की व्यवस्था करने, जंगलों के पुनरुद्धार तथा प्रदूषणकारी तत्वों के उत्सर्जन में कमी लाने से संबंधित अन्य प्रयास भी इस दीर्घकालिक समाधान का हिस्सा हैं।

इसके अलावा इस सदी के मध्य तक नेट जीरो का लक्ष्य हासिल करने के लिए भारत को उद्योगों और कारोबारियों के साथ आम राय बनाने की दिशा में भी काम करने की जरूरत है।

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