भर्ती में कृषि विवि की किरकिरी

बांदा,संवाददाता। कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में प्रवक्ताओं की भर्ती को लेकर आरोप और विवाद जारी हैं। अब हाल ही में घोषित हुए प्रवक्ताओं के रिजल्ट में अधिकांश प्रवक्ता एक ही जाति के नियुक्त किए जाने को लेकर कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय निशाने पर है।

कहा जा रहा कि ये टैलेंट या फिर जातिवाद। प्रदेश के कृषि मंत्री ने जांच की बात कही है। कृषि विश्वविद्यालय में पिछले दिनों प्रवक्ताओं की 20 नियुक्तियों के लिए विज्ञापन प्रकाशित हुआ था। पहली जून को घोषित रिजल्ट में 15 सामान्य वर्ग की नियुक्तियों में एक जाति विशेष के 11 लोगों की नियुक्ति का आरोप लगाया जा रहा है।

इनमें प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर और असिस्टेंट प्रोफेसर शामिल हैं। भर्ती प्रक्रिया को लेकर शुरू से ही शिकायतें और सवाल हो रहे हैं। राज्यसभा सांसद विशंभर प्रसाद निषाद, विधायक ब्रजेश प्रजापति सहित कई भाजपा व सपा नेताओं ने शिकायतें की थीं। भाजपा विधायक ब्रजेश ने प्रधानमंत्री को भी पत्र भेजा था।

बताया जा रहा कि एक ही जाति के अधिकांश प्रवक्ता नियुक्त किए जाने आदि के आरोपों पर प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने जांच का भरोसा दिलाया है। उधर, विश्वविद्यालय कुलपतिध्प्रशासन का इस संबंध में पक्ष देने से कन्नी काट रहे हैं।

आज विश्वविद्यालय के मुख्य गेट को बंद कर सुरक्षा कर्मी तैनात कर दिए गए। मीडियाकर्मियों की एंट्री पर पूरी तरह रोक लगा दी गई। सुरक्षा कर्मियों का कहना था विश्वविद्यालय के अफसर कहेंगे तभी प्रवेश मिलेगा। उधर, कुलपति डॉ. यूएस गौतम को अनेकों बार कॉल की गई, लेकिन फोन रिसीव नहीं हुआ।

अलबत्ता विश्वविद्यालय के निदेशक (प्रशासन) डॉ. वीके सिंह का कहना है कि नियुक्तियों में किसी तरह की अनियमितता नहीं की गई। नियम और शासन के निर्देशों के अनुसार प्रक्रिया अपनाई गई है। जांच कराई जा सकती है।

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