परीक्षा फीस के सवा तीन करोड़ बोर्ड में फंसे

बांदा,संवाददाता। चित्रकूटधाम मंडल के चारों जिलों बांदा, हमीरपुर, महोबा और चित्रकूट में बगैर परीक्षा दिए अगली कक्षा में छलांग से खुश 10वीं बोर्ड के परीक्षार्थियों को एक चिंता भी सता रही है। वह इस बात को लेकर फिक्रमंद हैं कि उनके द्वारा जमा किए गया परीक्षा शुल्क वापस मिलेगा या नहीं। चित्रकूटधाम मंडल के 63,792 परीक्षार्थी यूपी बोर्ड की ओर निगाहें गड़ाए हुए हैं।

उनका तीन करोड़ बीस लाख इकतीस हजार एक सौ बत्तीस रुपये जमा है। इस बाबत अफसर भी वापसी होगी या न होगी को लेकर गेंद शासन के पाले में डालकर पल्ला झाड़ रहे हैं। कोरोना महामारी के चलते स्कूल-कॉलेज बंद रहे। कक्षाएं नहीं चलीं। प्रदेश सरकार ने हाल ही में फै सला लिया है कि यूपी बोर्ड में 10वीं के छात्रों की परीक्षा नहीं ली जाएगी।

उन्हें बगैर परीक्षा अगली कक्षा के लिए उत्तीर्ण कर दिया जाएगा। बिना पढ़ाई परीक्षा के तनाव से जूझ रहे परीक्षार्थियों को सरकार का यह फैसला राहत से भरपूर है, लेकिन उन्हें दूसरी चिंता अपने अभिभावकों की गाढ़ी कमाई से जमा शुल्क को लेकर है। उनका मानना है कि जब परीक्षा नहीं हो रही तो शुल्क किस बात का। पिछले सवा वर्ष से यूं भी कोरोना से आर्थिक स्थिति डांवाडोल हो चुकी है।

बोर्ड परीक्षा शुल्क के रूप में हाईस्कूल के संस्थागत परीक्षार्थियों से 501 रुपये प्रति परीक्षार्थी लिया गया है। इसके अलावा व्यक्तिगत परीक्षार्थियों से 706 रुपये प्रति परीक्षार्थी जमा कराया गया है। मंडल के चारों जिलों में बांदा में सबसे ज्यादा 1.14 करोड़ रुपये का परीक्षा शुल्क जमा किया है।

चित्रकूट में लगभग 65 लाख, महोबा में करीब 63 लाख और हमीरपुर के छात्र-छात्राओं ने 77 लाख रुपये परीक्षा शुल्क के रूप में बोर्ड के हवाले किए हैं। बांदा में 22,787 हाईस्कूल परीक्षार्थी बिना परीक्षा दिए अगली कक्षा के लिए प्रमोट कर दिए गए। इनका परीक्षा शुल्क 1,14,87,627 रुपये राजकीय कोष में जमा हुआ था। शुल्क छात्र-छात्राओं को वापस होगा या नहीं, इस पर फिलहाल पेच फंसा है।

अधिकारी भी इस बारे में कोई स्पष्ट जानकारी नहीं दे पा रहे। इस वर्ष 12,724 छात्र व 10,063 छात्राएं (कुल 22,787) हाईस्कूल में पंजीकृत हैं। जिले में कुल 163 विद्यालय हैं। इन विद्यालयों में अध्ययनरत संस्थागत छात्र 12,464 व छात्राएं 9,975 हैं।

जमा शुल्क की रसीद परीक्षा फार्म के साथ परीक्षार्थियों ने संलग्न की थी। हाईस्कूल के परीक्षार्थियों का निर्धारित परीक्षा शुल्क प्रधानाचार्यों और व्यक्तिगत परीक्षार्थियों द्वारा स्वयं चालान के माध्यम से राजकीय कोष में जमा कराया था।

इसकी प्राप्ति रसीद परीक्षा फार्म के साथ सब्मिट कर बोर्ड को भेज दी गई थी। शासन ने सभी परीक्षार्थियों को प्रमोट करने का निर्णय लिया है। अब परीक्षा शुल्क वापस होगा या नहीं यह तो शासन स्तर पर ही निर्णय लिया जा सकता है।

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