इलाहाबाद हाईकोर्ट पहुची मनीष और प्रभा की लव मैरिज स्टोरी.

ढाई आखर प्रेम का, पढ़े सो पंडित होय।
कबीर का ये दोहा तो आपने जरूर सुना होगा जिसका मतलब होता है यदि कोई प्रेम के केवल ढाई अक्षर ही अच्छी तरह पढ़ ले तो वही सच्चा ज्ञानी माना जाता है।
कुछ ऐसा ही प्रेम मनीष और प्रभा ने भी किया लेकिन इस प्रेम के ज्ञान को लड़की के परिजन नहीं समझ पाए।
जी हां,ऐसा ही एक मामला मप्र के छतरपुर में देखने को मिला है।
22 साल के मनीष मिश्रा जो एक साल पहले 20 वर्षीय  की प्रभा दुबे को दिल दे बैठते हैं। प्रभा जो उत्तरप्रदेश के बांदा जिले की  कमासिन  कस्बे के लखनपुर गांव की रहने वाली हैं वो अपनी बहन के यहां(चहितारा  गांव) अक्सर आती रहती थी,तो वहीं मनीष मप्र के छतरपुर जिले के गौरिहार के रहने वाले हैं।
इत्तेफाक से मनीष की बहन का ससुराल भी चहितारा ही था,जहां मनीष का आना जाना लगा रहता था। दोनों एक दूसरे के पड़ोसी थे और यहीं से शुरू होती है दोनों की प्रेम कथा।
अपने परिजनों से चोरी-छुपे मनीष और प्रभा अपने इस रिश्ते को आगे बढ़ाते जाते हैं और एक साल बाद दोनों मंदिर में शादी कर लेते हैं, साथ ही वकील की मदद से अपनी रजामंदी का शपथ पत्र भी देते हैं।
शादी के बाद प्रभा अपने ससुराल में पति मनीष के साथ खुशी-खुशी रहने लगती है, क्योंकि मनीष के घरवालों को इस शादी से कोई एतराज़ नहीं था। शादी के 4 दिन बाद ही यानी 17 अप्रैल की रात 11 बजे लड़की के घरवाले पुलिस के साथ मनीष के घर से प्रभा को ये कहकर ले जाते हैं कि  धारा 164 के तहत लड़की के बयान होने हैं।
क्योंकि प्रभा के परिजन ने मनीष के विरूद्ध थाने में एफआईआर दर्ज करवाई है। लड़की के साथ ही पुलिस शादी का ओरिजिनल नोटरी एफिडेविट भी ले जाती है।
लेकिन मनीष जब पता करते हैं तो उनके खिलाफ कोई एफआईआर थाने में नहीं मिलती है। अपनी पत्नी को पाने के लिए मनीष ने अब इलाहाबाद हाई कोर्ट की शरण ले ली है, जहां उन्होंने बन्दी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर कर दी है।
मनीष का आरोप है कि लड़की के घरवालों ने प्रभा को अपनी कैद में रखा हुआ है, साथ ही 8वीं कक्षा की फर्जी मार्कशीट बनवाकर प्रभा को नाबालिग बता रहे हैं। जबरदस्ती उसकी शादी किसी दूसरे से कि जा रही है।
अब देखना होगा मनीष की याचिका पर   इलाहाबाद हाईकोर्ट क्या फैसला सुनाता है।
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