बिहार के बच्चों को पढ़ाएंगे देश-विदेश के शिक्षक, नीतीश सरकार के साथ इन शैक्षणिक संस्थाओं का हुआ समझौता

बिहार में देश के सबसे अधिक छात्र-छात्राएं अध्ययनरत हैं। उन्हें प्रतिस्पर्धी माहौल में आगे बढ़ने हेतु गुणवत्तापूर्ण संसाधन और मार्गदर्शन उपलब्ध कराना हमारी प्राथमिकता है। इन संगठनों का सहयोग इस दिशा में मील का पत्थर साबित होगा।

बिहार सरकार के शिक्षा विभाग ने राज्य के विद्यालयों में गुणवत्तापूर्ण और समावेशी शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों एवं गैर-सरकारी संगठनों के साथ समझौता ज्ञापन (MoU) हस्ताक्षर कार्यक्रम का आयोजन किया। इस मौके पर शिक्षा मंत्री सुनील कुमार और अपर मुख्य सचिव डॉ. एस. सिद्धार्थ के साथ शिक्षा विभाग के कई वरीय पदाधिकारी भी मौजूद थे।

इस मौके पर शिक्षा मंत्री सुनील कुमार ने कहा कि राज्य के कुल बजट का 20% से अधिक शिक्षा पर व्यय हमारी प्रतिबद्धता को दर्शाता है और यह स्पष्ट करता है कि हमारी सरकार शिक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देती है। यह साझेदारी न केवल शिक्षा तंत्र में नवाचार और तकनीक का संचार करेगी, बल्कि विद्यार्थियों के लिए अवसरों के नए द्वार भी खोलेगी। आज के इस MoU कार्यक्रम के अंतर्गत प्राथमिक शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा तक के तीनों स्तरों के कार्यों के लिए समझौता ज्ञापन हस्ताक्षरित किए जा रहे हैं। शिक्षा मंत्री सुनील कुमार ने कहा कि बिहार सरकार की साइकिल योजना ने विशेष रूप से बालिकाओं के बीच शिक्षा की पहुँच को उल्लेखनीय रूप से विस्तारित किया है, जिससे राज्य की शिक्षा व्यवस्था में महत्वपूर्ण सुधार हुआ है। इस पहल की सफलता को देखते हुए अन्य देशों ने भी इसका अध्ययन कर अपने यहाँ लागू किया है। उन्होंने कहा कि हम चाहते हैं कि प्रत्येक MoU का प्रभाव जमीनी स्तर पर स्पष्ट रूप से दिखाई दे, और इसके लिए नियमित मॉनिटरिंग एवं परिणाम-आधारित मूल्यांकन की व्यवस्था सुनिश्चित की जाएगी।

इस मौके पर मौजूद शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ. एस. सिद्धार्थ ने कहा कि बिहार में देश के सबसे अधिक छात्र-छात्राएं अध्ययनरत हैं। उन्हें प्रतिस्पर्धी माहौल में आगे बढ़ने हेतु गुणवत्तापूर्ण संसाधन और मार्गदर्शन उपलब्ध कराना हमारी प्राथमिकता है। इन संगठनों का सहयोग इस दिशा में मील का पत्थर साबित होगा। बिहार सरकार द्वारा शिक्षा में सुधार हेतु निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं, जिससे शिक्षा व्यवस्था और सुदृढ़ हो रही है। इन प्रयासों को और अधिक गति देने के लिए गैर-सरकारी एवं परोपकारी संगठनों की क्षमता, अनुभव और संसाधनों को राज्य के सतत प्रयासों के साथ एकीकृत कर शिक्षा की गुणवत्ता, नवाचार और प्रभावशीलता को अभूतपूर्व स्तर तक पहुँचाया जा सकता है।

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