गंगा, महानंदा और कोसी उफान पर, कटिहार में बाढ़ का प्रलय

बिहार में इन दिनों गंगा, कोसी और महानंदा नदियों का जलस्तर बढ़ा हुआ है, इससे कई जिलों में बाढ़ जैसे हालात निर्मित हो गए हैं। वहीं, कटिहार जिले की स्थिति चिंताजनक होती जा रही है। लेकिन चौंकाने वाली बात यह है कि पिछले 10 दिनों से यह फ्लड कंट्रोल रूम का नंबर बंद बता रहा है। इस नंबर पर संपर्क नहीं हो पा रहा है।
बिहार के कई जिलों में बाढ़ विकराल होती जा रही है। वहीं, कटिहार के कुछ इलाकों में गंगा, महानंदा और कोसी नदी उफान पर हैं। तीनों नदियों के जलस्तर में तेजी से वृद्धि के कारण बाढ़ का प्रकोप खौफनाक रूप ले चुका है। निचले इलाकों में पानी भरने से लोगों का घर से निकलना मुश्किल हो गया है। जनजीवन पूरी तरह अस्त-व्यस्त है। राहत और बचाव कार्य जारी है, लेकिन हालात बिगड़ते जा रहे हैं। ऐसे समय में प्रशासन की जिम्मेदारी और सतर्कता सबसे अहम हो जाती है। वर्षों से आपात स्थिति में संपर्क के लिए कटिहार महानंदा फ्लड कंट्रोल रूम का नंबर 06252-239791 जारी किया गया था। इस नंबर को लेकर प्रशासन ने हर साल प्रचार-प्रसार भी किया, ताकि बाढ़ के दौरान लोग किसी भी खतरे या मदद की जरूरत पड़ने पर सीधे सूचना दे सकें। लेकिन चौंकाने वाली बात यह है कि पिछले 10 दिनों से यह फ्लड कंट्रोल रूम का नंबर “आउट ऑफ ऑर्डर” है।
अधिकारी खुद मान रहे हैं कि नंबर खराब है
ड्यूटी पर तैनात अधिकारी खुद मान रहे हैं कि नंबर खराब है और अभी तक इसे ठीक नहीं किया जा सका है। इसका मतलब है कि बाढ़ से जूझ रहे लोग जब मदद के लिए फोन करते हैं, तो उन्हें सिर्फ निराशा हाथ लगती है। अब सवाल यह है कि जब संकट की घड़ी में ही फ्लड कंट्रोल रूम का नंबर बंद पड़ा है, तो लोग अपनी गुहार अधिकारियों तक कैसे पहुंचाएंगे। क्या विभाग को इस खराबी की जानकारी नहीं थी या फिर लापरवाही के चलते इसे नजरअंदाज किया गया।
कटिहार में इस समय हजारों लोग बाढ़ के पानी से घिरे हैं, कुछ गांवों का संपर्क टूटा हुआ है। ऐसे में फ्लड कंट्रोल रूम की निष्क्रियता प्रशासन की तैयारियों पर गंभीर सवाल खड़े कर रही है। बाढ़ जैसी आपदा में सूचना और मदद का समय पर पहुंचना ही जान बचा सकता है, लेकिन जब मदद की लाइन ही बंद हो, तो हालात का अंदाजा खुद लगाया जा सकता है।
ट्यूब वाली नाव पर सोने को मजबूर लोग, 16 पंचायत जलमग्न
कटिहार में गंगा के उफान ने ऐसा कहर बरपाया है कि पूरा इलाका पानी-पानी हो गया है। मनिहारी अनुमंडल के राज बघार पंचायत का मेदनीपुर गांव इस समय बाढ़ की सबसे भयावह मार झेल रहा है। यहां हालात इतने खराब हैं कि लोग जुगाड़ से बने रबड़ के ट्यूब वाली नाव पर ही रात गुजारने को मजबूर हैं। घर-द्वार सब गंगा में समा चुका है, गांव के लोग डूबे स्कूल के ऊपरी मंजिल पर किसी तरह शरण लिए हुए हैं। बीमार महिलाएं घर में पानी भरे होने के कारण चौकी पर बैठकर ग्रामीण डॉक्टर से इलाज करवा रही हैं। गांव से बाहर आने-जाने के लिए केवल एक नाव है, जिससे सैकड़ों लोग बारी-बारी से सफर कर रहे हैं।
लोग छाती भर पानी में पैदल आने-जाने को मजबूर
कई लोग छाती भर पानी में पैदल आने-जाने को मजबूर हैं। खाने-पीने, रहने, सोने और शौचालय, किसी भी तरह की व्यवस्था नहीं है। बेजुबान पशु भी पानी में डूबे खड़े हैं, चारा का कोई इंतजाम नहीं है। बाढ़ पीड़ित प्रशासन और सरकार से मदद की गुहार लगा रहे हैं। मुखिया पिंटू कुमार यादव ने सरकार से अपील की है कि तुरंत सामुदायिक किचन और सूखा राशन की व्यवस्था की जाए। उन्होंने नाव और राहत सामग्री को नाकाफी बताते हुए स्थानीय प्रशासन को लापरवाही का जिम्मेदार ठहराया है।
सरकार मदद नहीं कर रही-पीड़ित
राज बघार पंचायत के 16 में से 16 गांव पूरी तरह जलमग्न है। न मवेशियों के लिए चारा है, ना लोगों के लिए खाना। पीड़ित कहते हैं जब सरकार मदद नहीं कर रही, तो मुखिया भी क्या करेगा। गंगा की बाढ़ ने यहां जिंदगी ठप कर दी है। अब गांव वाले बस आस लगाए हैं कि राहत सामग्री, नाव और सरकारी मदद जल्द पहुंचे, वरना हालात और बिगड़ सकते हैं। यह बाढ़ न केवल गांव की जमीन को, बल्कि लोगों की उम्मीदों को भी डुबो रही है।