इंडिजिनस नेशनलिस्ट पार्टी ऑफ त्रिपुरा पर मंडराए संकट के बादल

चुनाव आयोग ने इंडिजिनस नेशनलिस्ट पार्टी ऑफ त्रिपुरा को कारण बताओ नोटिस जारी किया है, जिसमें पूछा गया है कि उसे पंजीकृत दलों की सूची से क्यों न हटाया जाए। 2002 में बनी यह पार्टी 2021 में टिपरा मोथा पार्टी में विलय हो गई थी और तब से कोई चुनाव नहीं लड़ा। पार्टी को 21 अगस्त 2025 तक जवाब देना होगा।
चुनाव आयोग ने इंडिजिनस नेशनलिस्ट पार्टी ऑफ त्रिपुरा (आईएनपीटी) को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। आयोग ने पार्टी से पूछा है कि उसे पंजीकृत राजनीतिक दलों की सूची से क्यों न हटाया जाए। यह नोटिस त्रिपुरा के सूचना एवं सांस्कृतिक मामलों (ICA) विभाग की ओर से बुधवार को जारी किया गया।
पूर्व उग्रवादी से नेता बने बिद्योज कुमार ह्रांगखावल ने साल 2002 में इस पार्टी का गठन किया था। इसका उद्देश्य त्रिपुरा में आदिवासी राजनीतिक ताकतों को एकजुट करना था। हालांकि, 2021 में आईएनपीटी का विलय टिपरा मोथा पार्टी (टीएमपी) में हो गया। इसके बाद से पार्टी ने कोई चुनाव नहीं लड़ा।
चुनाव आयोग का आधार
चुनाव आयोग के रिकॉर्ड के अनुसार, पार्टी ने 2018 और 2023 में लोकसभा व विधानसभा चुनावों में कोई उम्मीदवार खड़ा नहीं किया। साथ ही पिछले दो आम चुनावों के दौरान हुए उपचुनावों में भी पार्टी ने हिस्सा नहीं लिया। आयोग ने नोटिस में कहा कि यह स्पष्ट है कि पार्टी अब एक राजनीतिक दल के रूप में सक्रिय नहीं है।
पार्टी को दिया गया मौका
आयोग ने कहा कि पार्टी को अपनी मान्यता खत्म करने से पहले जवाब देने का अवसर दिया जाएगा। पार्टी को 21 अगस्त 2025 तक लिखित जवाब देना होगा, जो पार्टी के अध्यक्ष या महासचिव के शपथपत्र और आवश्यक दस्तावेजों के साथ होना चाहिए। सुनवाई की तारीख 28 अगस्त 2025 को दोपहर तीन बजे, त्रिपुरा के मुख्य निर्वाचन अधिकारी के कार्यालय में तय की गई है।
जवाब न मिलने पर कार्रवाई तय
चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया कि अगर तय समय तक जवाब नहीं मिला तो यह माना जाएगा कि पार्टी के पास कहने के लिए कुछ नहीं है, और फिर बिना किसी और सूचना के कार्रवाई की जाएगी। यह कदम राजनीतिक दलों की सक्रियता और चुनावी भागीदारी सुनिश्चित करने की दिशा में आयोग की सख्ती को दर्शाता है।