भारत के इस राज्य में आज भी होता है स्वयंवर, जहां लड़कियां खुद चुन सकती हैं…

हम में से ज्यादातर लोग स्वयंवर प्रथा से परिचित होंगे. बता दें कि स्वयंवर प्रथा भारतीय संस्कृति में मौजूद एक पुरानी परंपरा है. इस प्रथा के अनुसार, एक विवाह योग्य लड़की कई युवकों के बीच से अपने वर पति का चयन करती है. स्वयंवर प्रथा वैदिक काल से ही चली आ रही है और महाभारत-रामायण में भी इसका वर्णन मिलता है. आपको बता दें कि ऐसी ही एक परंपरा बिहार की मिट्टी में आज भी जिंदा है. बिहार के मलिनिया गांव में दो दिन के लिए पत्ता मेला लगता है जिसमें विवाह योग्य युवक और युवतियां शामिल होते हैं. इस मेले किसी लड़के का किसी लड़की पर दिल आता है तो वह उसे पान का पत्ता खिलता है. अगर लड़की वो पत्ता खा लेती है तो समझा जाता है कि दोनों का विवाह हो गया.

कैसे होती है यह परंपरा?

बिहार के मलिनिया गांव में लगने वाले इस मेले में दूर-दूर से आदिवासी आते हैं. मेले में बांस बना एक बड़ा टॉवर आर्कषण का केंद्र होता है. इसकी सभी आदिवासी पूजा करते हैं. मेले में दो दिनों के दौरान जमकर नाच-गाना होता है. आदिवासियों के लिए यह त्योहार होली की तरह है क्योंकि मेले में लोग जमकर अबीर-गुलाल भी खेलते हैं. जिस स्वयंवर प्रथा की बात यहां हो रही है. इसमें लड़का पसंद करने के बाद लड़की उसके साथ कुछ दिन गुजारती है. इसके बाद दोनों की समाज द्वारा शादी करा दी जाती है. अगर साथ रहने के बाद लड़के या लड़की में से किसी ने इनकार किया तो सरपंचों का एक समूह उन्हें सजा देता है.

पान खाने से लड़की ने किया तो क्या होगा

कई बार लड़की को लड़का पसंद नहीं आता है, तब लड़की उसके हाथ से पान खाने से इनकार कर देती है. ऐसी अवस्था में लड़का दूसरी लड़की की तलाश करता है. बिहार में आयोजित होने वाले इस अनोखे मेले में नेपाल, बंगाल और झारखंड के लोग भी आते हैं. आपको बता दें कि स्वयंवर प्रथा में जब एक स्त्री विवाह के योग्य होती है, तब स्वयंवर आयोजित किया था जिसमें कई युवक भाग लेते थे. स्त्री को उन युवकों में से अपने चाहने वाले का चयन करने की स्वतंत्रता दी जाती थी. फिलहाल इस लुप्त हो चुकी परंपरा को इन आदिवासियों ने जिंदा रखा है.

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