261 टीबी मरीजों को गोद देने की योजना

378 मरीजों को लिया चुका है गोद

टीबी मरीज को गोद ले सकता है कोई भी सक्षम व्यक्ति

इलाज के दौरान मरीज के पोषण का रखना होगा ख्याल

हमीरपुुर। टीबी मरीजों के उच्च पोषण को लेकर स्वास्थ्य विभाग ने 261 टीबी मरीजों को गोद देने की योजना बनाई है। समाज का कोई भी सक्षम व्यक्ति जरूरदमंद टीबी मरीज को गोद लेकर उन्हें इस बीमारी से छुटकारा दिलाने में अपनी भूमिका अदा कर सकता है। ऐसे व्यक्ति को बस मरीज के इलाज के दौरान उसके सही पोषण का ख्याल रखना होगा। मरीज को शासन स्तर से मिलने वाली पांच सौ रुपए की धनराशि भी मिलती रहेगी। केंद्र सरकार ने वर्ष 2025 तक देश को टीबी से मुक्त बनाने की मुहिम शुरू की है।

इस मुहिम से समाज के सक्षम लोगों को भी जोड़ा जा रहा है ताकि टीबी जैसी संक्रामक बीमारी का सामना करने वाले जरूरतमंद मरीजों की भरपूर मदद करते हुए उन्हें इस बीमारी से उबारा जा सके। इसके लिए समाज के सक्षम लोगों को अपनी क्षमतानुसार मरीजों को गोद लेकर उनके भरण-पोषण का इंतजाम करना है।

जिला क्षय रोग अधिकारी डा. महेशचंद्रा ने बताया कि टीबी मरीजों को शासन द्वारा निक्षय पोषण योजना के तहत पांच सौ रुपए की आर्थिक मदद दी जाती है। इसके अलावा अगर सक्षम लोग मरीजों को गोद लेकर उनके उच्च पोषण का जिम्मा उठाते हैं तो इससे मरीज और भी जल्दी इस बीमारी से उबर सकता है। इसके लिए निक्षय मित्र बनाए जा रहे हैं। गोद लेने वाले को मरीज को प्रतिमाह सिर्फ छह खाद्य वस्तुएं दिलानी होंगी, इनमें मूंगफली, भुना चना, गुड़, सत्तू, तिल/गजक एक-एक किलो और एक न्यूट्रिशियन सप्लीमेंट शामिल है।

यह एक परोपकार का भी काम है। उन्होंने बताया कि इस बार 261 टीबी ग्रसित मरीजों की सूची तैयार कर उन्हें गोद देने की योजना है। 30 सितंबर को गोद लेने का कार्यक्रम होगा। जिला स्तरीय अधिकारी, रेडक्रांस सोसाइटी, जनप्रतिनिधि, समाजसेवी और सक्षम लोगों से अपेक्षा है कि वह ऐसे मरीजों को आगे बढ़कर गोद लेकर टीबी मुक्त भारत की मुहिम में अपना योगदान दे सकते हैं।

टीबी के जिला कार्यक्रम समन्वयक राजेंद्र प्रसाद ने बताया कि इससे पूर्व 378 टीबी रोगियों को विभिन्न अधिकारियों, जनप्रतिनिधियों व समाजसेवियों ने गोद लेकर उनके उच्च पोषण का ध्यान रखा था। इन सभी मरीजों को पोषण सामग्री भी दी जाती रही है। कुछ मरीज ठीक भी हो चुके हैं व कुछ अभी उपचाराधीन है। पोषण सामग्री प्राप्त करने वाले मरीज मोतीलाल और राजेंद्र निषाद का कहना है कि उन्हें उपचार के दौरान नियमित तौर पर पोषण किट मिलती रही। इससे उन्हें काफी फायदा हुआ।

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