महावीर सिंह सही मायने में भारत माता के संघर्षी सूरमा थे: डा. भवानीदीन
हमीरपुर। वर्णिता संस्था के तत्वावधान मे आजादी के अमृत महोत्सव के संदर्भ मे विमर्श विविधा के अन्तर्गत जरा याद करो कुर्बानी के तहत छात्र जीवन से ही क्षात्र धर्म अर्थात वीरता के प्रतीक महावीर सिंह राठौर की जयन्ती 16 पर श्रद्धा जलि अर्पित करते हुये संस्था के अध्यक्ष डा. भवानीदीन ने कहा कि महावीर सिंह सही मायने मे भारत माता के संघर्षी सूरमा थे, इनके योगदान को भुलाया नहीं जा सकता है, महावीर सिंह बचपन से ही राष्ट्रसेवी थे, इन्हें गोरों का शासन रास नहीं आता था, ये प्रारंभिक कक्षा मे ही भारत माता और गाधी जी के जयकारों के नारे लगाकर आंग्लविरोधी घोषित हो गये थे, 1925 मे कानपुर के डीएवी कालेज मे अध्धयन हेतु आये थे, यहीं पर राठौर का भगतसिंह और चन्द्रशेखर आजाद जैसे क्रांति शूरों से परिचय हुआ था, मुलाकात और क्रातिकारी गतिविधियों मे भाग लेने के बाद ये पूरी तरह क्रांति चेता बन चुके थे।
चाहे सान्डर्स वध रहा हो या असेम्बली बम कान्ड रहा हो, इनकी भूमिका महत्वपूर्ण रही, जिसे नकारा नहीं जा सकता है, लाहौर षडयंत्र केस मे महावीर सिंह को गिरफ्तार किया गया, इन्हें कई जेलों मे रखा गया, कालांतर में इन्हें साथियों सहित अंडमान की सेलुलर जेल भेजा गया, जहां पर कैदियों के साथ गोरों द्वारा अन्याय किये जाने पर 12 मई 1933 से भूख हड़ताल कर दी, इनकी यह नौवीं भूख हडताल थी, इसे मिलाकर राठौर ने 63 दिनों तक भूख हडताल की, महावीर सिंह योगाभ्यासी थे, बलिष्ठ थे, इन्हें डाक्टरों ने बलात दूध पिलाया, जो इनके फेफड़ों मे चला गया, इनकी हालत बिगड गयी, राठौर का 17 मई 1933 को निधन हो गया।
ये भी शहीदी श्रृंखला मे शामिल हो गये। कार्यक्रम मे अवधेश कुमार गुप्ता एडवोकेट, अशोक अवस्थी, रमेशचंद्र गुप्ता, रामेश्वर चैरसिया, चित्रासु खरे और राधारमण गुप्ता आदि रहे।