सुरेश रैना
सुरेश रैना ने मंगलवार को क्रिकेट के सभी प्रारूपों को अलविदा कह दिया। अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से तो वह पहले ही अलग हो चुके थे, मगर आईपीएल से उन्होंने अपना नाता जोड़े रखा था। भले ही यह कोई अप्रत्याशित घटना नहीं हो, क्योंकि हरेक खिलाड़ी के करियर में यह मुकाम आता ही है, मगर संन्यास की यह घोषणा एक टीस जरूर दे गई।
रैना बेहतर विदाई के हकदार थे, खासकर इंडियन प्रीमियर लीग की कामयाबी में उनके खेल-योगदान को देखते हुए ऐसा लगता है। आईपीएल में 5,500 से अधिक रन उनके दमखम का प्रमाण देते हैं। मगर आधुनिक पेशेवर दुनिया की यह निर्मम सच्चाई है कि जब तक आप उपयोगी हैं, आप पर कोई दांव लगाने को तैयार है, तभी तक आपकी जय-जयकार होगी।
रैना को इस साल न तो उनकी फ्रेंचाइजी ‘चेन्नई सुपर किंग्स’ ने बरकरार रखा था और न ही किसी अन्य टीम ने उन पर दांव लगाया। लेकिन भारतीय क्रिकेट का इतिहास सुरेश रैना को नजरअंदाज नहीं कर सकेगा, क्योंकि वह न सिर्फ इस खेल विधा के सभी प्रारूपों में लंबे अरसे तक चमकते हुए सितारे रहे, बल्कि उनके खेल कौशल ने करोड़ों दिलों में उन्हें स्थापित कर दिया है।
वह जिस दौर में टीम इंडिया से जुड़े, वह छोटे-छोटे शहरों से क्रिकेटरों के उभार का दौर था। महेंद्र सिंह धौनी व सुरेश रैना जैसे बड़े खिलाड़ियों ने अपने प्रदर्शनों से कस्बों, शहरों में पल रहे अनगिनत सपनों को मजबूत आधार दिया था।
इस लिहाज से भी उनका योगदान बहुत बड़ा है। न सिर्फ बल्लेबाज के रूप में रैना ने टेस्ट, एकदिवसीय व ट्वंटी-20 में शतक जड़े, बल्कि लाजवाब क्षेत्ररक्षण के लिए तो उनको दुनिया के दिग्गज क्षेत्ररक्षकों जोंटी रोड्स, रिकी पोंटिंग, पॉल कॉलिंगवुड के साथ खड़ा किया जाता रहा, और एक अच्छा क्रिकेटर जितने रन बनाता है, उतना ही क्षेत्ररक्षण से बचाता भी है। यह बात गेंदबाजों पर भी लागू होती है।
रैना देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश से ताल्लुक रखते हैं। साल 2003 में वह उत्तर प्रदेश रणजी टीम के सदस्य बने थे और उसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। इसलिए कल रैना ने उचित ही बीसीसीआई के साथ-साथ उत्तर प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन के प्रति भी अपना आभार जताया।
हालांकि, एक कटु सत्य यह भी है कि विशाल आबादी वाले इस प्रदेश की अपेक्षाकृत कम प्रतिभाओं ने खेलों में अंतरराष्ट्रीय ख्याति अर्जित की है। ऐसे में, सुरेश रैना जैसे प्रतिष्ठित क्रिकेटरों के अनुभव का लाभ राज्य में खेल-संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए उठाया जाना चाहिए।
एक समय था, जब मोहम्मद कैफ, आरपी सिंह जैसे खिलाड़ियों के उदय ने यह उम्मीद जताई थी कि क्रिकेट की दुनिया में उत्तर प्रदेश एक बड़ी लकीर खींचने जा रहा है, मगर आईपीएल जैसे बड़े प्लेटफॉर्म की उपस्थिति के बावजूद अब तक ऐसा संभव नहीं हो सका है।
इसलिए, रैना जैसे बड़े खिलाड़ियों से यह अपेक्षा की जाएगी कि क्रिकेटरों की नई पौध खड़ी करके वे देश-प्रदेश के प्रति अपनी कृतज्ञता जताएं। विडंबना यह है कि जो नई सामाजिक संस्कृति विकसित हो रही है, उसमें आधुनिक द्रोणाचार्यों को समर्पित के बजाय समृद्ध एकलव्यों की तलाश रहने लगी है।
सुरेश रैना जैसे सफल और सार्थक क्रिकेट जीवन जीने वाले हरफनमौला खिलाड़ी से यही आशा की जाएगी कि वह अब कोच के तौर पर भी एक कामयाब पारी खेलें और इस क्षेत्र में नए कीर्तिमान गढ़ें़।