अव्यवस्थाओं का शिकार, डाकघर छोटीबाजार
बांदा। केन्द्र सरकार का उपक्रम डाकघर गांव.गांव व शहरों में लोगों को कई प्रकार से वित्तीय सुविधायें प्रदान करने व छोटी.छोटी बचतें जमा करने हेतु लोगों को प्रेरित करने के उद्देश्य से डाकघरों में कई प्रकार के संसाधनों से लैस जरूर किया है किन्तु आज भी कई डाकघर ऐसे हैं जिनमें अव्यवस्था ही नजर आ रही है।
वह चाहे स्टाफ की कमी हो या फिर विभागीय उदासीनता। इन्हीं सब कारणों की बानगी बना छोटी बाजार का डाकघर जहां मात्र इस समय अव्यवस्था ही नजर आ रही है।
छोटी बाजार डाकघर छिपटहरी रोड पर सड़क से लगभग चार फुट ऊचांई पर किराये की बिल्डिंग पर स्थित है। चार फिट की ऊंचाई जिसमें एक भी सीढ़ी नहीं है। नवयुवक तो किसी तरह एक दूसरे का सहारा लेकर ऊपर चढ़ जाता है परन्तु बूढ़े बच्चों का वहां तक पहुंचना मुश्किल हो जाता है कोशिश करने पर चोटहिल जरूर हो जाते हैं।
बिजली की वैकल्पिक व्यवस्था के लिये एक मिनी जनरेटर रखा है वो भी शो.पीस कभी चलता नहीं है जब लाइट होगी तभी कार्य होगा नहीं तो तख्ती टांग दी जाती है आज कार्य नहीं हो रहा।
इस डाकघर में जमा व निकासी फार्म के अलावा कोई भी अन्य फार्म नहीं मिलेगा यहां तक की खाता खुलवाने वाला फार्म सामने कैफे की दुकान की ओर इशारा करके पैसे से लेने के लिये कहा जाता है।
खाताधारकों ने बताया कि लगभग एक सप्ताह से यहाँ का प्रिन्टर खराब है जिस कारण लोगों के पासबुकों में इन्ट्री नहीं हो पा रही बाबू आज नहीं कल आना कहकर टाल देते हैं। लोग अतरे.दूसरे दिन अपनी पासबुक के लिये दौड़ते नजर आते हैं और आये दिन यहां के बाबू से तू.तू मैं.मैं होती नजर आती है।
उपभोक्ताओं ने मांग की है इस डाकघर में मूलभूत सुविधायें जैसे चढ़ने के लिये सीढ़ीए लाइट के लिये पंखा तथा पासबुक इंट्री के लिये प्रिन्टर की व्यवस्था सुचारू रूप से की जाये जिससे लोगों का समय व्यर्थ न हो और बेहतर सुविधायें मिल सके।