मुफ्त होने के मायने
केंद्र सरकार एक विशेष अभियान के तहत 18 से 59 साल की आबादी को कोरोना की तीसरी खुराक मुफ्त देने जा रही है। अपने देश में ‘बूस्टर डोज’ की शुरुआत 10 जनवरी, 2022 को 60 वर्ष से अधिक उम्र वाली आबादी और स्वास्थ्य व अग्रिम पंक्ति के योद्धाओं को तीसरी खुराक देने के साथ हुई थी।
10 अप्रैल से इसे 18 से 59 उम्र वाले लोगों के लिए भी उपलब्ध करा दिया गया। मगर पिछले छह महीने में महज पांच फीसदी वयस्कों ने ही एहतियाती खुराक मतलब बूस्टर डोज ली है। बीते तीन महीनों में तो 18-59 आयु वर्ग के सिर्फ 1.3 प्रतिशत लोगों ने बूस्टर डोज ली।
इस कम ‘कवरेज’ का एक बड़ा कारण था, दूसरी और तीसरी खुराक के बीच नौ महीने का अंतर। जून के आखिर तक सिर्फ 24 करोड़ वयस्क तीसरी खुराक के पात्र थे, जिनमें से पांच करोड़ ने टीके लगवाए। इससे निपटने के लिए जुलाई के पहले सप्ताह में सरकार ने तीसरी खुराक की पात्रता के लिए अंतर को घटाकर छह महीने कर दिया।
इस निर्णय से एहतियाती खुराक के लिए योग्य वयस्कों की संख्या लगभग 65 करोड़ हो गई। फिर भी, तीसरी खुराक के लिए आने वाले लोगों की संख्या स्थिर बनी हुई है।
यह शोचनीय है कि विशेषकर 18-59 आयु-वर्ग के लोग एहतियाती खुराक की तरफ क्यों नहीं आकर्षित हो रहे हैं, जबकि इस आयु-वर्ग के लिए बूस्टर खुलने से पहले ऐसा लग रहा था कि इसमें तीसरी खुराक की भारी मांग है।
इसकी एक वजह यह समझ आती है कि बुजुर्गों व अग्रिम पंक्ति के योद्धाओं के लिए एहतियाती खुराक को लेकर पूर्ण सहमति व स्पष्ट सिफारिश है, पर 18-59 वर्ष के लिए सरकार ने निजी क्षेत्र की मदद ली, जिसमें भुगतान के बाद टीके का प्रावधान किया गया। पैसे देकर टीका लेना कई लोगों को अरुचिकर लगा।
फिर, सरकार की तरफ से यह कभी नहीं कहा गया कि तीसरी खुराक सबको दी जानी चाहिए। कई विशेषज्ञों के तर्क हैं कि भारत की परिस्थिति और संक्रमण की उच्च प्राकृतिक दर को देखते हुए यहां तीसरी खुराक के फायदे स्पष्ट नहीं हैं। संभवत: इन्हीं तथ्यों के संदर्भ में सरकार 75 दिनों का यह विशेष अभियान शुरू करने जा रही है।