भंडारण में लापरवाही तो अनाज में लग जाएगा घुन
बांदा,संवाददाता घरों में अनाज भंडारण में लापरवाही बरती तो किसानों की मेहनत पर घुन लगने का खतरा मंडरा सकता है। घुन लगा अनाज न खाने योग्य रहता है और न ही इसकी बाजार में बिक्री होती है। ऐसे में किसानों को नुकसान हो सकता है। कृषि विभाग ने किसानों को कच्ची बखारियों में अनाज भंडारित करने के तौर-तरीके बताए हैं
। जिला कृषि रक्षा अधिकारी डा. प्रमोद कुमार ने बताया कि रबी फसलों की कटाई और मड़ाई अंतिम चरण में है। गेहूं, जौ, चना, मटर आदि उपज को सुरक्षित रखना जरूरी है। थोड़ी सी चूक में अनाज में घुन लग सकता है।
उन्होंने सुझाव दिया कि कच्ची बखारियों में अनाज भंडारित करने से पहले गोबर की लिपाई कर दें। बिल, छेदों व दरारों को गीली मिट्टी से भर दें। सूखने के बाद भूसे की पतली परत बिछा दें। मोटी पॉलिथीन लगाकर अनाज का भंडार करें।
ऊपर से प्लास्टिक पॉलिथीन से ढक दें, जिससे अनाज में नमी न पहुंच सके। भंडारित अनाज में 8-10 प्रतिशत से ज्यादा नमी नहीं होना चाहिए। कहा कि जूट के बोरों में अनाज भंडार करें तो बोरों को मैलाथियान व रसायन के घोल में 20 मिनट तक भिगोएं, फिर इन्हें 3-4 दिनों तक तेज धूप में सुखाएं, जिससे घुन वाले कीटों के अंडे व बच्चे नष्ट हो जाएं।
कृषि रक्षा अधिकारी ने चेताया कि एल्युमीनियम फास्फाइड का प्रयोग एयर टाइट बखारियों में करें। ध्यान देना होगा उस कमरे में एक सप्ताह तक कोई भी न जाए। गैसों के रिसाव से व्यक्ति पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।
कम मात्रा में अनाज का भंडारण करना है तो नीम की पत्ती, लहसुन की कलियां या पारस तिकणी नामक जैविक टिकिया का इस्तेमाल करें। और जानकारी के लिए किसान राजकीय कृषि रक्षा इकाई व उनके कार्यालय में संपर्क भी कर सकते हैं।