यात्रा का हासिल

कोविड संकट के बीच प्रधानमंत्री मोदी की अमेरिका यात्रा के, रिश्तों के हिसाब से तो महत्वपूर्ण निहितार्थ हैं ही, लेकिन बदले भू-राजनीतिक समीकरणों के बीच इसका महत्व और बढ़ जाता है। खासकर अफगानिस्तान में तालिबान की वापसी और चीन-पाक की जुगलबंदी से उत्पन्न हालात से उपजी चिंता के बीच।

भारत व अमेरिका के नैसर्गिक रूप से मित्र और दुनिया के सबसे पुराने व बड़े लोकतंत्र होने की चर्चा मोदी की यात्रा के दौरान बदले निजाम से भी हुई। राष्ट्रपति जो बाइडेन व उपराष्ट्रपति कमला हैरिस ने भी लोकतांत्रिक मूल्यों को दृढ़ करने व लोकतांत्रिक संस्थाओं के संरक्षण की बात कही।

बहरहाल, अमेरिकी शीर्ष नेताओं व क्वॉड के नेताओं से पहली बार रूबरू होने के अलावा शनिवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा में प्रधानमंत्री का संबोधन इस यात्रा की उपलब्धि रही। मोदी ने महासभा की 76वीं आम सभा में अपने नपे-तुले भाषण में लोकतंत्र, आतंकवाद, तालिबान की वापसी तथा वैक्सीन से जुड़े मुद्दों पर बातचीत की।

जहां इससे पहले पाक प्रधानमंत्री ने भारत का नाम लेकर हमला बोला था, वहीं मोदी ने पाक का नाम लिये बिना अपनी बात कही। उन्होंने कहा कि प्रतिगामी सोच के साथ जो देश आतंकवाद का इस्तेमाल राजनीतिक उपकरण की तरह कर रहे हैं, ये उनके लिये भी खतरा है। जरूरी है कि अफगानिस्तान की धरती का इस्तेमाल आतंकवाद फैलाने के लिये नहीं हो। प्रधानमंत्री ने विश्व बिरादरी से अफगान महिलाओं, बच्चों व अल्पसंख्यकों की मदद की अपील की।

प्रधानमंत्री ने चेताया कि कोई देश अफगानिस्तान के हालात का उपयोग अपने स्वार्थ के लिये न कर सके। अफगानिस्तान की जमीन को भारत विरोधी चरमपंथी समूहों के लिये इस्तेमाल न होने दिया जाये। प्रधानमंत्री ने चीन के नाम का उल्लेख तो नहीं किया, लेकिन विस्तारवाद और कब्जे की नीति पर सवाल जरूर खड़े किये।

जिसे हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन की बढ़ती दखलअंदाजी से जोड़कर देखा जा रहा है। वहीं भाषण में जलवायु परिवर्तन, आधुनिक तकनीक, कोरोना वैक्सीन और गरीब मुल्कों की मदद, समुद्र की स्वच्छता आदि मुद्दे भी शामिल रहे। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र की विसंगतियों को लेकर भी सवाल खड़े किये।

इस दौरान इमरान खान के भारत विरोधी भाषण के बाद राइट टू रिप्लाई के तहत भारत के करारे जवाब की भी चर्चा रही। प्रधानमंत्री की जो बाइडेन से अच्छे माहौल में हुई बातचीत में दोनों देशों के सामरिक महत्व के मुद्दों व सहयोग में साझेदारी पर चर्चा हुई। व्यापार, रक्षा, तकनीक और ऊर्जा में सहयोग बढ़ाने तथा कोविड महामारी व जलवायु संकट से मिलकर लड़ने पर प्रतिबद्धता जतायी गई।

इससे पहले प्रधानमंत्री ने भारतीय मूल की पहली महिला उपराष्ट्रपति कमला हैरिस से मुलाकात की। कमला हैरिस ने कहा कि दोनों देश पुराने लोकतंत्रों में से एक हैं और दोनों नैसर्गिक सहयोगी हैं तथा समान मूल्यों व भू-राजनीतिक हितों को साझा करते हैं। साथ ही क्वॉड समूह के देशों अमेरिका, आस्ट्रेलिया, जापान व भारत ने शिखर बैठक में हिंद-प्रशांत क्षेत्र में आवाजाही की आजादी सुनिश्चित करने के लिये मिलजुल कर काम करने पर बल दिया गया।

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