धूमधाम से मनी शिवराम हरि राजगुरू की जयंती

हमीरपुर। वर्णिता संस्था के तत्वावधान में विमर्श विविधा के अंतर्गत जरा याद करो कुर्बानी के तहत आजादी के संघर्ष के निर्भीक सरफरोश शिवराम हरि राजगुरु की जयंती 24 पर संस्था के अध्यक्ष डा. भवानीदीन ने कहा कि राजगुरु सच्चे अर्थों में मां भारती के एक समर्पित सुरमा थे, इनके योगदान को भुलाया नहीं जा सकता है, राजगुरु का पूरा नाम शिवराम हरि राजगुरु था, इनके पिता हरिनारायण और मां का नाम पार्वतीबाई था, 6 वर्ष की उम्र में इनके पिता का निधन हो गया इनके बड़े भाई और मां ने इनकी परवरिश की,इनको संस्कृत भाषा में ज्ञान था, ये अध्ययन करने बनारस चले गये।

यह प्रारंभ से राष्ट्र सेवी सोच के थे, शीघ्र ही इनका संबंध जाने-माने क्रांतिकारियों से हो गया, चंद्रशेखर आजाद, भगत सिंह, सुखदेव, जय गोपाल जैसे कई महत्वपूर्ण क्रांतिकारियों से इनका परिचय हुआ और यह पक्के क्रांतिकारी बन गए, जब भारत मे साइमन कमीशन आया, उसका लाला लाजपतराय के नेतृत्व मे विरोध हुआ, अंग्रेजों ने लाला लाजपत राय पर लाठियों से इतने प्रहार किये कि उनका निधन हो गया।

देश का अपमान समझा गया और भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव चंद्रशेखर औरशचीन्द्रनाथ सान्याल ने बदला लेने का निर्णय लिया, इन्होंने अंग्रेज मि स्काट को मारने का प्लान बनाया, जय गोपाल पर मि स्काट को पहचानने का जिम्मा सौपा गया, पहली गोली राजगुरु ने चलायी, मि स्काट के स्थान पर पी सांडर्स को गोली लगी और उनकी वहीं पर मृत्यु हो गई, आगे चलकर राजगुरु को पुणे में गिरफ्तार किया गया, अंग्रेजों ने न्याय का नाटक किया और राजगुरु, भगत सिंह, सुखदेव को एक साथ 23 मार्च 1931 को फांसी के फंदे पर झूला दिया गया, उस समय राजगुरु की उम्र मात्र 22 वर्ष के लगभग थी, ऐसे सरफरोश को कभी भुलाया नहीं जा सकता है, इनका बहुत बड़ा योगदान था, ये देश के लिए जिये और देश के लिए मरे, कार्यक्रम में अवधेश कुमार गुप्ता, अशोक अवस्थी, राजकुमार सोनी, आयुष शिवहरे, राधारमणगुप्ता, रमेशचंद गुप्ता, आनंद गुप्ता और अनंतराम आदि शामिल थे।

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