फैसला करेगी सरकार
मैं माननीय मित्र फिरोज गांधी को बधाई देता हूं कि उन्होंने प्रशासन की त्रुटियों को बिना गलती के पकड़ने की अपनी ख्याति को बनाए रखा है। मैंने उन्हें काफी ध्यानपूर्वक सुना है और मैं उनके भाषण में संगीत नाटक के तत्वों की प्रशंसा भी करता हूं।
Amitesh Pandeyटी टी कृष्णमाचारी, तत्कालीन वित्त मंत्रीFri, 19 Aug 2022 11:38 PM
मैं माननीय मित्र फिरोज गांधी को बधाई देता हूं कि उन्होंने प्रशासन की त्रुटियों को बिना गलती के पकड़ने की अपनी ख्याति को बनाए रखा है। मैंने उन्हें काफी ध्यानपूर्वक सुना है और मैं उनके भाषण में संगीत नाटक के तत्वों की प्रशंसा भी करता हूं।
जैसा उन्होंने बताया, तथ्य यह है कि जीवन बीमा निगम ने 24 या 25 जून को बहुत से अंश खरीदे थे। इस सभा में की गई सारी आलोचना और प्रश्नों में एक गलती की गई है और वह यह कि यह कहा गया है कि एक विशेष व्यक्ति को यह सारी राशि दी गई है और यह कंपनी उसकी थी और उसकी सहायता के लिए अथवा उसे वित्तीय कठिनाई से निकालने के लिए राशि दी गई है।
…परंतु वस्तुत: तथ्य यह है कि इन कंपनियों के स्थापित होने में कुछ समय लगा था और जैसा फिरोज गांधी ने बताया है, उनमें से कुछ का कारोबार अच्छा रहा है। मुझे स्वयं इन कंपनियों का अधिक ज्ञान नहीं है…।
संयोग की बात है कि फिरोज गांधी ने प्रशासन की अपेक्षा अथवा एक बुरे प्रयोजन के विनियोजन से भी अधिक आरोप लगाए हैं। …मैं इस सभा के समक्ष उत्तरदायी हूं और केवल कुछ शब्दों से मैं इससे विमुक्त नहीं हो सकता। यहां उठाई गई बातों का उत्तर देने का प्रयत्न करूंगा।
मैं अपने उत्तरदायित्व में नहीं कतराता और इसे कुछ पदाधिकारियों के कंधे पर नहीं फेंकना चाहता। सच बात यह है कि जीवन बीमा निगम का संचालन वित्त मंत्रालय नहीं करता। हम तो केवल उस समय हस्तक्षेप करते हैं, जब कर्मचारियों का विवाद हो, कोई गड़बड़ हो या जब कोई प्रश्न पूछा जाए।
एक-दो बार मैंने अपने अधिकार का अतिक्रमण करते हुए वहां आकर उन्हें निपटारे के कुछ साधनों के सुझाव अवश्य दिए थे, जिनको निगम को स्वयं करना था। अत: निगम की व्यवस्था ऐसी है कि वित्त मंत्री के लिए उसके नित्यप्रति के कार्यों की देख-रेख करना न तो उपयुक्त ही है और न ही संभव, वह तो केवल उसके संचालन का ध्यान रख सकता है।