विवेचकों की लापरवाही से छूट गए हत्यारोपी

बांदा,संवाददाता। 14 साल पहले एलआईसी के चैकीदार की हत्या व चोरी के प्रयास के चार आरोपी साक्ष्यों के अभाव में बरी हो गए। विवेचना में खामियों के लिए न्यायालय ने नाराजगी जाहिर की। न्यायाधीश ने विवेचकों के विरुद्ध कार्रवाई के लिए एसपी हमीरपुर व कानपुर महानगर पत्र भेजा है।

शहर के जेएन डिग्री कॉलेज के पास स्थित भारतीय जीवन बीमा निगम का चैकीदार कैलाश 28 जून 2008 की सुबह कार्यालय के बाहर मृत अवस्था में खून से लथपथ पाया गया था। सूचना पर पहुंचे शाखा प्रबंधक ने देखा कि एलआईसी कार्यालय के गेट का ताला टूटा पड़ा है और चोरों ने तिजोरी को खोलने का प्रयास किया।

जिससे तिजोरी का हैंडल टूट गया और नीचे पड़ा था। शाखा प्रबंधक एके श्रीवास्तव ने कोतवाली नगर में अज्ञात लोगों के विरुद्ध चैकीदार की हत्या व कार्यालय में चोरी के प्रयास की रिपोर्ट दर्ज कराई। मामले की विवेचना तत्कालीन एसआई केदार नाथ सिंह व रामेश्वर मौर्य को दी गई।

विवेचना के दौरान चार आरोपी बहादुर यादव जामू (कमासिन), कमर उर्फ कमल छिपटहरी (बांदा), संजय श्रीवास, मुन्ना खां मर्दन नाका (बांदा) के विरुद्ध आरोप पत्र न्यायालय में दाखिल किया। मामले की सुनवाई कर रहे प्रथम अपर सत्र न्यायाधीश मोहम्मद अशरफ अंसारी ने साक्ष्यों के अभाव में चारों आरोपियों को बरी कर दिया।

त्रुटिपूर्ण विवेचना पर नाराजगी जाहिर करते हुए हमीरपुर एसपी व कानपुर महानगर एसपी को पत्र भेजकर विवेचकों के विरुद्ध कार्रवाई के लिए कहा है। साथ फैसले की एक प्रति भी एसपी को भेजी गई है।

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