किसानों को केंद्र तक बुलाने के लिए घर तक मनाने जाएंगे प्रभारी

उरई/जलौन,संवाददाता। जिले में गेहूं की कटाई व कतराई का काम तेजी से चल रहा है, लेकिन सरकारी क्रय केंद्रों पर खरीद की रफ्तार धीमी दिखाई दे रही है। इसे तेज करने के लिए अधिकारियों की तरफ से एक नया तरीका निकाला गया है।

अब घर-घर जाकर केंद्र प्रभारी किसानों से संपर्क कर केंद्र में आकर गेहूं बेचने के लिए मनाएंगे। इस बारे में केंद्र प्रभारियों को जिला खाद्य एवं विपणन अधिकारी ने निर्देश जारी किए हैं। जिले में किसानों से गेहूं खरीद के लिए 64 क्रय केंद्र बनाए गए हैं।

इन्हें एए अप्रैल से शुरू किया गया था, लेकिन किसानों के केंद्रों में न पहुंचने पर खरीद की गति धीमी चल रही है। जिले में बनाए गए क्रय केंद्रों में 99 हजार मीट्रिक टन गेहूं की खरीदारी होनी है, लेकिन 20 दिन में सिर्फ इन केंद्रों पर 814 क्विंटल को खरीद हो पाई है।

यह लक्ष्य से काफी दूर दिखाई दे रहा है। जिला खाद्य एवं विपणन अधिकारी विकास तिवारी ने कहा कि किसान सरकारी क्रय केंद्रों पर ही अपना गेहूं बेचे। इसके लिए केंद्र प्रभारी अपने क्षेत्र के गांवों में रहने वाले किसानों के घर जाकर उनके संवाद करेंगे।

उन्होंने कहा कि इससे खरीद बढ़ेगी।एट। 21 दिन बीत जाने के बाद भी नौ केंद्रों पर एक किलोग्राम की भी गेहूं की सरकारी खरीद नहीं हो पाई है। सरकारी रेट से आढ़ती के दाम अधिक होने की वजह से किसान अपना गेहूं आढ़तियों को बेचते हुए नजर आ रहे हैं।

वहीं केंद्र प्रभारी किसानों को मनाने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं, लेकिन किसान केंद्रों पर आने के लिए राजी नहीं हैं। कस्बा क्षेत्र में एट, कोटरा जैसारी कला, पिरौना समेत करीब नौ सरकारी गेहूं खरीद केंद्र बनाए गए हैं।

इनमें एट में नवीन गल्ला मंडी में खोले गेहूं केंद्र विपणन गेहूं केंद्र, पीसीएफ, डीसीडीएफ, क्रय विक्रय, पीसीओ गुरु कृपा, क्षेत्रीय सहकारी समिति, सहकारी संघ समेत सात केंद्र बनाए गए हैं।

वहीं, क्षेत्रीय सहकारी समिति पिरौना व सहकारी समिति जैसारी कलां कोटरा एक-एक केंद्र बने हुए हैं। केंद्र प्रभारी तकदीर सिंह व कमलेश कुमार का कहना है कि सरकारी गेहूं के दाम 2015 रुपये प्रति क्विंटल है, जबकि मंडी में 2020 रुपये प्रति क्विंटल गेहूं की खरीद हो रही है।

इसकी वजह से किसान सरकारी गेहूं केंद्र पर नहीं आ रहे हैं। वहीं मंडी सचिव सोनू का कहना है कि 21 दिन बीत जाने के बाद भी 9 केंद्रों पर एक भी किसान ने पंजीकरण तक नहीं कराया है।

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