हमीरपुर में साढ़े छह अरब रुपये की नमामि गंगे परियोजना रामभरोसे

गर्मी में सैकड़ों गांवों फिर रहेंगे प्यासे

हमीरपुर ब्यूरो। हमीरपुर जिले में साढ़े छह अरब रुपये की नमामि गंगे परियोजना यहां रामभरोसे चल रही है। परियोजना के कार्य को रफ्तार न दिए जाने से अब इस बार भी गर्मी के मौसम में तीन सौ पचपन गांव फिर प्यासे रहेंगे।

विधानसभा चुनाव से पहले इस परियोजना को जमीन पर दौड़ाने के दावे भी हवा में उड़ गए है। बुन्देलखंड के हमीरपुर जिले में पिछले कई दशकों से सैकड़ों ग्रामों में लोग पानी के संकट से जूझ रहे है।

सुमेरपुर, कुरारा, मौदहा, मुस्करा और गोहांड क्षेत्र के तमाम गांव ऐसे है जहां लोगों को गर्मी के मौसम में पानी के लिए परेशान होना पड़ता है। मौदहा क्षेत्र के बीहड़ में बसे दर्जनों गांवों में तो ग्रामीण कुएं और नदी का पानी पीने को आज भी मजबूर है।

जलनिगम और जलसंस्थान की वर्षों पुरानी पेयजल योजनाएं भी यहां ग्रामीणों की प्यास नहीं बुझा सकी। सर्वाधिक पानी के लिए कपसा, गुसियारी सहित डेढ़ दर्जन से अधिक गांवों के लोग परेशान है। गांव के अलावा कस्बे में भी पानी के लिए अभी से समस्या विकराल होने लगी है।

बुन्देलखंड में पानी की समस्या के स्थायी समाधान के लिए मोदी सरकार ने जल मिशन के तहत नमामि गंगे परियोजना की बड़ी सौगात दी है जिसे लेकर साढ़े छह अरब रुपये (650 करोड़) का फंड भी कार्यदायी संस्थाओं को दिया गया।

बताते है कि पिछले साल से इस परियोजना को लेकर कार्यदायी संस्थाएं यहां निर्माण कार्य करा रही है लेकिन अभी तक साठ फीसदी भी कार्य नहीं हो सके।

जबकि 55 फीसदी फंड भी परियोजना के निर्माण में अभी तक खर्च हो गई है। जलनिगम के अधिशाषी अभियंता मोहित वर्मा ने बताया कि साढ़े छह अरब (650 करोड़) रुपये की लागत की नमामि गंगे परियोजना के निर्माण कार्य कार्यदायी संस्थाएं तेजी से करा रही है।

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