मध्यप्रदेश के मौरम ठेकेदार बारिश की बंदी में निजीभूमि का पूजन किये

ज़िला छतरपुर गौरिहार क्षेत्र के रहवासी हैं मौरम ठेकेदार व हिस्सेदार।
– बारिश बाधित अवधि बंदी में यूपी के बाँदा क्षेत्र गंछा में गौरिहार के वीरेंद्र पटेल ने निजीभूमि पर खनन का प्रचार फेसबुक में किया।
– कानपुर के सूत्रधार अधिवक्ता की मानें तो बाँदा में निजीभूमि खेत की एक भी फ़ाइल स्वीकृत नहीं हुई हैं।
– महोबा में कुछ फ़ाइल स्वीकार की गई जबकि बाँदा,हमीरपुर, जालौन के डीएम इस बात पर सहमति नहीं हुए थे।
– मध्यप्रदेश के छतरपुर में बीजेपी के सीएम शिवराज सिंह की सरकार और डीएम शीलेन्द्र सिंह का आशीर्वाद मौरम ठेकेदारी पर है।
– छतरपुर में कानपुर की फर्म आनंदेश्वर ग्रुप के विजय गुप्ता व इनके भतीजे सुनील गुप्ता की मजबूत पकड़ है।
– छतरपुर में सभी खनिज खंड आनंदेश्वर ग्रुप को ही मिले थे जैसे पन्ना में सभी 26 खदान होशंगाबाद पिपरिया निवासी रसमीत मल्होत्रा को प्राप्त है। 

बाँदा। बुंदेलखंड में जब माननीय मेहरबानी करें तब मौरम उठान कैसे नहीं हो सकता हैं ? फिर क्या बारिश की बाधित अवधि और क्या नियम कानून की बातें यह सबकुछ बेमानी हैं।

बाँदा समेत यूपी में गत 30 जून से खनन बन्द हैं। यह अगले माह अक्टूबर में शुरू होना हैं। वहीं बारिश की बंदी में भी ज़िले का अवैध खनन और ओवरलोडिंग ने रफ्तार कम नहीं की थी।

इसका खामियाजा हाल ही में बाँदा के अपर एसपी महेंद्र चौहान व तत्कालीन डीएम आनंद कुमार सिंह ने भुगता हैं।


गौरतलब हैं मध्यप्रदेश के किसी एसपी सिंह मौरम माफिया से कनेक्शन होने के चलते के अपर एसपी महेंद्र चौहान को एसटीएफ की जांच रिपोर्ट के बाद निलंबित किया गया हैं।

वहीं डीएम रहे आनंद कुमार सिंह को स्थानांतरित किया गया हैं। उक्त दोनों अधिकारियों की रहनुमाई में बारिश की बन्दी में भी अवैध खनन व ओवरलोडिंग ने बाँदा में रुकने का नाम नहीं लिया।

इससे जहां योगी सरकार की छवि खराब हुई वहीं नदियों का ईको सिस्टम भी प्रभावित हुआ है। उधर बुंदेलखंड की सड़कों का हाल तो गजब ही हैं।

बतलाते चले कि आज सोशल मीडिया फेसबुक पर छतरपुर के गौरिहार निवासी किसी वीरेंद्र पटेल (पत्रकार) ने कुछ तस्वीरों व एक वीडियो के साथ बाँदा के गंछा क्षेत्र में निजीभूमि पर मौरम खनन हेतु भूमि पूजन की पोस्ट की हैं।

इस खबर के साथ वह स्क्रीन शाट काबिलेगौर हैं। वहीं उत्तरप्रदेश के चीफ माईनिंग अफसर श्री शर्मा के मुताबिक बाँदा में निजीभूमि पर खनन की फ़ाइल स्वीकार नहीं हुई हैं।

कानपुर के सूत्र अधिवक्ता ने बताया कि उन्होंने दो दिन पहले ही चीफ माईनिंग ऑफिसर से बात की थी। चित्रकूट मंडल में महोबा की कुछ फ़ाइल हुई हैं।


बड़ी बात हैं कि छतरपुर में मध्यप्रदेश का बड़ा व छोटा मौरम माफिया बेरोकटोक निजीभूमि खेत व नदी से रातदिन नम्बर दो की लाल बालू निकासी कर रहा हैं।

उधर प्रदेश के खनिज मंत्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह मीडिया में बयान देते हैं कि रेत कारोबार में ठेकेदार की मनमानी नहीं चलेगी। किसानों को प्रधानमंत्री आवास निर्माण में सहूलियत बरतकर मौरम प्रदान की जाएगी।

हास्यास्पद हैं कि मध्यप्रदेश में निजीभूमि खेत से मौरम उठान का पट्टा किसानों के नाम होता हैं लेकिन उसको चलवाने का काम सफेदपोश नेता,रसूखदारों की जमात करती हैं। यही कलेक्टर से थाना तक सिस्टम सेट करते है।


बाँदा में नरैनी,दुरेड़ी,गिरवां के रस्ते यह ट्रक आवागमन करते है। जहां संबंधित पुलिस थाने को साधकर धंधा चलता हैं। जनपद के आरटीओ,सेलटैक्स आदि को पुलिस चौकियों से गुमराह किया जाता हैं।

उल्लेखनीय हैं हैं कि छतरपुर के गौरिहार का वीरेंद्र पटेल स्वंय को फेसबुक में पत्रकार लिखे है। बाँदा समेत छतरपुर में खनन उद्योग में इस लाबी की अच्छी घुसपैठ हैं।

बाँदा में डम्प से ओवरलोडिंग अपर एसपी व डीएम पर कार्यवाही के बावजूद रुकी नहीं हैं। संवाददाता ने खुद बीते 17 सितंबर पैलानी के कालेश्वर से पहले बंसल के डम्प में यह नजारा देखा था। यह डंप अजहर नाम का व्यक्ति देखरेख करता हैं।

डंप में पहाड़नुमा मौरम धीरे धीरे खत्म हो रही हैं जिसकी आड़ में रात को नदी से मौरम निकासी होती हैं। बाँदा में मध्यप्रदेश की सरहद से लगे गिरवां, रामपुर, परेई घाट, मवई,बिलहरका,स्योढ़ा आदि क्षेत्रों से अवैध खनन सामान्य बात है। यहां बाँदा के कुछ माननीय अप्रत्यक्ष तरीके से बालू पेशे में शामिल है।


बसपा,सपा के वक्त सांसदी करने वाले मौजूदा आरके पटेल अब बीजेपी में सांसद है। वहीं इनके सुपुत्र सुनील पटेल के डम्फर की ओवरलोडिंग नरैनी-चित्रकूट मार्ग पर सोशल मीडिया में छाई रहती हैं।

विडम्बना हैं कि वीरेंद्र पटेल खुलेआम फेसबुक में निजीभूमि पर मौरम पट्टे की जानकारी दे रहे है। वह भी बाँदा के गंछा क्षेत्र की पोस्ट लिखकर तब जबकि बाँदा में खनन अभी कागज़ में बन्द हैं।

सवाल यह हैं कि क्या इसके पीछे कोई सजातीय नेता शामिल है या अधिकारी ? या फिर वीरेंद्र पटेल व अन्य को यह जानकारी नहीं की बाँदा में खनन सितंबर तक बन्द हैं। या फिर यह निजीभूमि मध्यप्रदेश की सीमाक्षेत्र में आता हैं।

फिलहाल वक्त फेसबुक पोस्ट के स्क्रीन शाट तो यही बतलाते है कि निजीभूमि बाँदा के गंछा की हैं। यह जांच व कार्यवाही का विषय हैं कि इस पोस्ट के पीछे की हकीकत क्या है ? तब जबकि इसी सप्ताह बाँदा के अपर एसपी व डीएम मौरम खनन में खेल के चलते नपे हैं।

देखने वाली बात होगी नवनियुक्त डीएम अनुराग पटेल इस पर क्या कार्यवाही करते है। क्या यह खनिज अधिकारी के संज्ञान में नहीं हैं कि बाँदा के आसपास मौरम धन्धे में क्या चल रहा हैं ?

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