राहत की कॉल

प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल के फैसले से दूरसंचार क्षेत्र में सुरक्षा उपायों के साथ सौ फीसदी विदेशी निवेश की अनुमति और राहत पैकेज से इस संकटग्रस्त उद्योग को बड़ी राहत मिलेगी।

केंद्र सरकार ने वित्तीय संकट से जूझ रही टेलीकॉम कंपनियों को स्पेक्ट्रम से जुड़े भुगतान को चार साल तक टालने को भी मंजूरी दी है।

ऐसा माना जा रहा है कि इन संरचनात्मक सुधारों से दूरसंचार सेक्टर के स्वरूप में धनात्मक बदलाव आयेगा। विश्वास जताया जा रहा है कि उद्योग जगत अब निवेश बढ़ाकर डिजिटल मुहिम को गति दे सकेगा।

साथ ही गुणात्मक मोबाइल सेवा के साथ कॉल ड्राप की समस्या से भी निजात मिलेगी। निस्संदेह संकटग्रस्त कंपनियों को विदेशी निवेश की छूट मिलने से दूरसंचार सेवा प्रदाता कपंनियों के लिये नकदी का प्रवाह बढ़ेगा, जो निवेश करने वाले बैंकों के भी हित में रहेगा।

दरअसल, केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा लिये गये फैसले में समायोजित सकल राजस्व यानी एजीआर का भुगतान को चार साल के लिये टाला गया है ताकि एक अक्तूबर से लागू होने वाली छूट के चलते कंपनियां संरचनात्मक विकास पर ध्यान दे सकें।

लेकिन इस बकाया राशि पर ब्याज का भुगतान करना होगा। चार साल बाद कंपनियों को शेष राशि चुकानी होगी। ऐसा न होने पर सरकार भुगतान को इक्विटी में बदल सकती है।

वहीं सरकार ने दूरसंचार के क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को 49 फीसदी से बढ़ाकर सौ फीसदी तो किया है, लेकिन इसमें सुरक्षा उपायों का पालन होगा।

मसलन यह निवेश उन्हीं देशों से हो सकेगा, जिनसे निवेश की अनुमति भारत सरकार ने दी है। दरअसल, पिछले दिनों आदित्य बिड़ला समूह के चेयरमैन कुमार मंगलम बिड़ला ने सरकार को पत्र लिखकर कहा था कि यदि सरकार मदद को आगे नहीं आती तो वोडाफोन आइडिया दिवालिया हो सकती है।

सरकार ने इस पत्र में उठाई गई समस्या को गंभीरता से लिया। फिर सरकार की पहल के बाद टेलीकॉम सेक्टर की तसवीर ही बदल गई।

दरअसल, इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने टेलीकॉम कंपनियों को एजीआर बकाया के तौर पर 1,19 292 करोड़ रुपये के भुगतान करने को कहा था, जिसमें एक बड़ा हिस्सा भारती एयरटेल व वोडाफोन का था। इसके एक हिस्से का भुगतान इन कंपनियों ने किया भी था।

अब सरकार की पहल के बाद टेलीकॉम कंपनियों को बैंकों से ऋण लेने और इससे जुड़े विभिन्न पहलुओं को तर्कसंगत बनाने की पहल भी की गई है।

इसके अलावा केंद्रीय मंत्रिमंडल ने ड्रोन व वाहन उद्योग की विनिर्माण क्षमता में वृद्धि के लिये 26,058 करोड़ रुपये का उत्पादन आधारित प्रोत्साहन यानी पीएलआई योजना को भी हरी झंडी दी है।

इसमें वैकल्पिक ऊर्जा वाले वाहन मसलन इलेक्ट्रिकल व हाइड्रोजन फ्यूल सेल वाहन भी शामिल होंगे। इस पैकेज का बड़ा हिस्सा जहां वाहन उद्योग को मिलेगा, वहीं एक सौ बीस करोड़ रुपये ड्रोन उद्योग के लिये आवंटित होंगे।

सरकार की मंशा है कि देश में कलपुर्जा उद्योग का विकास किया जाये। इससे जहां उत्पादन व निर्यात को बढ़ावा मिलेगा, वहीं देश में रोजगार का भी विस्तार किया जा सकेगा।

सरकार का सोचना है कि इस कदम से वैश्विक आपूर्ति श्रृखंला में विदेशी निवेश को बढ़ावा मिल सकेगा, जिससे वैश्विक वाहन कारोबार में भारत की भागेदारी बढ़ेगी।

दूसरी ओर सरकार चाहती है कि देश के सकल घरेलू उत्पाद में ऑटो क्षेत्र की हिस्सेदारी में वृद्धि हो। वह चाहती है कि इसे सात फीसदी से बढ़ाकर बारह फीसदी के करीब लाया जाये।

उम्मीद है कि सरकार के इस फैसले से अर्थव्यवस्था को तेजी मिलेगी। दूरसंचार कंपनियों के लिये घोषित राहत पैकेज के बाद टेलीकॉम कंपनियों के शेयरों में तेजी देखी गई।

शेयर बाजार रिकॉर्ड स्तर पर बंद हुआ। निस्संदेह कर्ज में डूबा दूरसंचार क्षेत्र लंबे समय से इस राहत की प्रतीक्षा कर रहा था। साथ ही दूरसंचार क्षेत्र में निवेश की छूट मिलने से कंपनियां नए विदेशी निवेशक तलाश सकेंगी।

इस नये निवेश से देश में 5-जी तकनीक के क्षेत्र में भी प्रगति हो सकेगी। साथ ही देश में इन्फ्रास्ट्राक्चर में सुधार का लाभ देश के करोड़ों मोबाइल उपभोक्ताओं को भी मिलेगा। 

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