सीएम भूपेश बघेल के महत्वाकांक्षी योजना से बच्चों ने जीती कुपोषण से जंग -देवेंद्र यादव

० दुर्ग जिले के 3000 हजार बच्चे हुए कुपोषण से मुक्त
भिलाई। प्रदेश सरकार प्रदेश के विकास के साथ ही लगातार कोपोषण मुक्त छत्तीसगढ़ बनाने के लिए भी प्रयास कर रही है।

इसके लिए घर-घर सर्वे करके कुपोषित बच्चों खोज कर उन्हेे स्वस्थ्य बनाने का अथक प्रयास किया जा रहा है।

हमारे प्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री भूपेश बघेल जी की महत्वाकांक्षी योजनाएं के चलते हमने दो साल में 3000 हजार बच्चों को कुपोषण से मुक्त करने में बड़ी सफलता हासिल की है।
कोरोना काल में एक ओर हम जहां कोरोना से जंग लड़ रहे थे।

वहीं साथ ही साथ महिला बाल विकास विभाग की टीम के साथ मिलकर हमने कुपोषण के खिलाफ भी अभियान चलाया। लगातार योजना बद्ध तरीके से चलाया जा रहा है।

हमारी आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और मितानित बहनों ने खूब मेहनत कर रही है। इनके बिना कुपोषण की जंग जीत पाना आसान नहीं है। 2019 में 15 हजार 347 बच्चे दुर्ग जिले में कुपोषित थे। जो 2021 में घट कर 12 हजार 323 हो गए हैं।

मतलब इन दो साल में कोरोना काल में हमारी महिला बाल विकास विभाग की टीम ने मुख्यमंत्री के सकुशल नेतृत्व में 3 हजार बच्चों को कोरोना मुक्त करने में सफलता पाई है।

जिले में 1500 आंगनबाड़ी केंद्र है। जहां औसतन 9800 बच्चे आए हैं। इन केंद्रों में काम करने वाली हमारी बहनों का भी पूरा सहयोग मिला है।

कुपोषित बच्चों को घर-घर जाकर खोजने और मुख्यमंत्री बाल संदर्भ योजना के तहत उनका फ्री में चेकअप कराने से लेकर फ्री में दवाइयां तक उपलब्ध कराई गई।

बच्चों को नियमित देख रेख किया गया। बच्चों को विशेषज्ञों द्वारा तैयार किए गए डाइट के अनुसार सरकार द्वारा फ्री में पोषण आहार दिया गया। जिससे हमारे बच्चे कुपोषण को हराकर पूरी तरह स्वथ्य हो पाए है।
दुर्ग में चल रहा एनआरसी
पोषण को हराने के लिए मुख्यमंत्री ने एक और खास पहल की है। दुर्ग जिला अस्पताल में एनआरसी सेंटर पोषण पुनरवास केंद्र खोला है। जहां कुपोषित बच्चे का इलाज किया जाता है। जहां 15 दिन मां और बच्चे को रखते हैं।

डॉक्टर और विशेषज्ञों की निगरानी में 15 दिन इलाज और बेहतर पोषण आहार देकर बच्चों को सुपोषित करते हैं। इससे बच्चों को काफी लाभ हो रहा है। 15 दिन पुनरवास केंद्र में जो मां अपने बच्चे के साथ रहती है। उन्हें आर्थिक नुकसान न हो। इस लिए हमारी सरकार इन माताओं को राशि भी देती है।

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